आप चाहे छोटे गाँव में रहें या बड़े शहर में, छोटा मोटा व्यवसाय करते हों अथवा बड़ा बिजनेस। गरीब परिवार से हों या अमीर। यह सारी बातें मायने नहीं रखती हैं, बशर्ते आपके हौंसले बुलंद हों और कुछ कर दिखाने का जज़्बा आपके मन में हो।
इसी बात का एक बहुत सटीक उदाहरण पेश किया है, हिसार जिले के एक गाँव के युवा अशोक कुमार ने, जिनके पिताजी अपने गाँव में आटा चक्की चलाने का काम करते हैं,
परन्तु अशोक न्यूक्लियर साइंटिस्ट बने और अपने पिता का गर्व से सर ऊंचा किया। इन्हें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में परमाणु वैज्ञानिक चुन लिया गया है।
फिलहाल यह बात बहुत चर्चा का विषय बन गई है कि एक आटा पीसने वाले व्यक्ति का बेटा न्यूक्लियर साइंटिस्ट बन गया है। अशोक कुमार (Ashok Kumar) हरियाणा के हिसार जिले के मुकलान नाम के गाँव में रहते हैं।
इनके पिता आटा चक्की चलाते हैं, फिर भी इन्होंने अपने बैकग्राउंड और परिवार के व्यवसाय को ना देखते हुए यह शानदार उपलब्धि प्राप्त की है। हालांकि यह तो आप समझ ही सकते हैं कि एक आटा चक्की चलाने वाले व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कैसी रही होगी,
लेकिन परिवार के कठिन हालातों से और कई संघर्षों से जुड़कर अशोक कुमार न्यूक्लियर साइंटिस्ट बने।