AddText 07 08 07.49.46

झारखंड के दुमका शहर में स्थित कुम्हारपाड़ा (बढ़ई पाड़ा) के रहने वाले ऋषि आनंद (IAS Rishi Anand) ने। इन्होंने UPSC की परीक्षा में 145वीं रैंक प्राप्त की और IAS अफसर बने। ऋषि आनंद के छोटे भाई रवि आनंद IAS बन चुके थे, फिर उन्हीं से प्रेरणा लेकर ऋषि ने अभी यूपीएससी परीक्षा देने का निश्चय किया था।

Also read: उत्तर प्रदेश का यह किसान अपने यहाँ उगा रहा है कई विदेशी सब्जी बहुत हो रही है इसकी मांग, जानिये इसके बारे में खास बात…

ऋषि आनंद ने बताया कि उनसे पूर्व 2 वर्ष पहले उनके छोटे भाई रवि ने वर्ष 2018 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था, जिसमें उन्हें 79वीं रैंक मिली थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लगातार 4 बार असफल होने के बार पांचवी बार ऋषि ने यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया। चलिए विस्तार से जानते हैं…

Also read: IPS Success Story: बेटी ने पुलिस अफसर बनकर की अपने दादा की इच्छा पूरा बचपन से ही माँ का था सपना, जानिये

झारखंड निवासी ऋषि आंनद एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बंध रखते हैं। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा तथा एक छोटा भाई रवि है। ऋषि के पिताजी का नाम दीपक कुमार शर्मा है, जो घाटशिला के जल संसाधन विभाग में कार्यपालक अभियंता के तौर पर कार्यरत हैं। उनके पिताजी की आर्थिक परिस्थिति अच्छी नहीं थी.

Also read: छात्रा गई थी अपनी कोचिंग देखने लेकिन स्टेशन पर मिल गई बड़ी खुशखबरी, माँ ने वहीँ पर मिठाई खिलाकर मुंह किया मीठा!

इसलिए ऋषि की प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज की पढ़ाई भी काफ़ी साधारण स्कूल या कॉलेज से पूरी हुई थी। 12वीं कक्षा पास करने के पश्चात के ऋषि ने इंजीनियरिंग पूरी की, फिर उनका प्लेसमेंट हुआ और उन्हें नौकरी मिल गयी। घर में आर्थिक मदद करने के लिए ऋषि ने जॉब ज्वाइन कर ली। इसी बीच ऋषि को गवर्नमेंट जॉब मिल गई तथा वे वह जॉब करने लगे।

Also read: पहले बार में पास की सिविल सर्विस की एग्जाम IAS बनीं सौम्या,बताई कैसे की थी तैयारी जानिए…

जब ऋषि और उनके छोटे भाई दिल्ली में रहते हुए यूपीएससी एग्जाम (UPSC Exam) की तैयारी कर रहे थे, उसी बीच उनके छोटे भाई परीक्षा में जल्दी ही पास हो गए थे, परंतु ऋषि के साथ ऐसा नहीं था। उन्हें पास होने में उनके भाई की अपेक्षा काफ़ी ज़्यादा समय लगा।

बार-बार परीक्षा में असफल होने के बारे में बताते हुए ऋषि कहते हैं की, पहली बार जब उन्होंने परीक्षा दी थी तब उनकी तैयारी ठीक से नहीं हुई थी, उसके बाद भी वे लगातार एग्जाम देते रहे पर हर बार वे बार-बार प्री परीक्षा भी क्लियर नहीं कर पाते थे। यद्यपि उन्होंने हर बार अपनी कमियाँ खोज कर उन्हें सुधारा परंतु फिर भी किसी ना किसी कमी की वज़ह से उन्हें कामयाबी नहीं मिलती थी।

जब ऋषि ने चौथी बार प्रयास किया और उसमें भी असफल हुए तो वे बहुत हताश हो गए थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अब तो उन्होंने इसी तरह से तैयारी करके अपनी सभी कमियाँ सुधार ली हैं। फिर उनके भाई, माता-पिता व मित्रो के मोटिवेशन से उनमें एक बार फिर कोशिश करने की हिम्मत आई और आखिरकार पाजेबा प्रयास करने पर उन्हें सफलता मिली। ऋषि ने 145 रैंक के साथ UPSC परीक्षा उत्तीर्ण की।

सिर्फ गलतियों को जानना ही काफ़ी नहीं होता है, जिस गलती की वज़ह से आप सफल नहीं हुए वह अगली बार ना हो, इसलिए उसे सुधारना भी ज़रूरी होता है। ऋषि को स्वामी विवेकानंद की किताबें पढ़ना पसन्द था, इसके साथ ही इन्होंने स्वामी विवेकानंद द्वारा कहे गए प्रेरणादायक कोट्स भी अपनी पढ़ने की टेबल पर लगाए हुए थे.

जिन्हें पढ़ कर उन्हें मोटिवेशन मिलता रहता था। फिर आगे ऋषि कहते हैं कि आपको अपने लिए जो भी तरीक़ा प्रभावी लगे, उसे अपनाइए, परन्तु डिप्रेशन में बिल्कुल ना आएँ और पूरे जोश और लगन के साथ तैयारी करके परीक्षा दें। एग्जाम का प्रेशर लेने की बजाय अगर आप पढ़ाई को इंज्वॉय करते हुए तैयारी करेंगे तो, आपको मुश्किल रास्ता भी आसान और रुचिकर लगने लगेगा।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...