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इंसान को नाकामयाबी से ना कभी डरना चाहिए और ना ही कभी उदास होना चाहिए। कुछ लोग असफलता से थक कर बैठ जातें हैं जो गलत है। असफलता एक ऐसी सीख है जो सफल होने का मार्गदर्शन करती है। इंसान असफल होकर ही बहुत कुछ सीखता है। इंसान जब असफल होता है तो वह उस असफलता से सफल होने का गुण सीख पाता है और उसके फलस्वरुप ही वह कामयाबी का स्वाद चखता है।

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रुक्मिणी (Rukmini) चंडीगढ़ (chandigadh) की रहनेवाली हैं। रुक्मिणी छठी कक्षा में फेल हो गयी थी। इस असफलता के बाद उनके माता-पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए डलहौजी सेक्रेट हार्ड स्कूल में दाखिला करवा दिया। अपने माता-पिता से दूर होने से रुक्मिणी का दिन प्रतिदिन पढ़ाई में रुझान कम होते गया। कक्षा में फेल होने के कारण रुक्मिणी शर्म से किसी के सामने आने-जाने से कतराने लगी थी।

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लोग उनके बारे में क्या कहेंगे, यह सोच-सोच कर वह काफी परेशान रहने लगी थी। इस गहन चिन्तन के कारण वह डिप्रेशन में जाने लगी। फिर उनके मन में ख्याल आया कि अगर वह पराजय के डर से हार कर बैठ गयी तो लोग उन्हें हारा हुआ समझेंगे। तब रुक्मिणी (Rumkini )ने ठान लिया कि वह सफल होकर एक मिसाल बनेंगी।

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रुक्मिणी ने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। उसके बाद वह UPSC के बारे में सोचा और इसकी तैयारी शुरु कर दी। वह ख़ुद से रोज 5 से 6 घंटे पढ़ाई करती थी। रुक्मिणी बिना किसी कोचिंग क्लास के पहली बार में ही UPSC में सफल हो गयी। यह उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही परिणाम था कि सफलता ने उसको गले लगाया।

जब रुम्किणी को सफलता मिली तो लोगों के व्यवहार में भी काफी बदलाव हुआ। अब वह सबके सामने गर्व से रहने लगी। रुक्मिणी सबको दिखाना चाहतीं थी कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं। वह असफलता से हार कर बैठने वालों के लिए एक मिसाल पेश की है। उनका मानना हैं कि नाकामयाबी इंसान को एक अच्छी सीख देती है लेकिन यह इंसान पर निर्भर करता है कि उन्हें इससे सीख लेकर आगे बढ़ना है या पूरी ज़िंदगी विफल होकर रहना है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...