गोबर के काम से तो हम सभी दूर ही रहना पंसद करते हैं।पुराने ज़माने के लोगों को छोड़ दें तो आज गोबर उठाना कोई शायद ही पंसद करे।गोबर के बीच काम करने वाले लोगों को हम कभी सम्मान की नज़र से नहीं

लेकिन आज हम जो कहानी आपको बताने जा रहे हैं वह आपको हैरान कर देगी।आप सोच में पड़ जाएंगे कि भला जिस गोबर को देख कर आप मुंह चिढ़ाते थे, वह इतना भी कीमती हो सकता है। आइए जनते हैं क्या है गोबर से लाखों रूपये की आमदनी करने वाले इन युवाओं की कहानी।

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मुकेश ने देखा कि गाँव में जिन घरों में मिट्टी का चूल्हा है वह तो गोबर से उपले बनाकर उसका प्रयोग चूल्हे में कर लेते हैं। कुछ लोग गोबर की खाद का खेतों में प्रयोग कर लेते हैं।

लेकिन इन सबके बाद भी जानवारों का गोबर बच ही जाता था। क्योंकि गाँव में हर घर में कई जानवर होते थे। इसलिए गाँव की गलियों में, सड़कों के किनारे गोबर पड़ा बजबजाता रहता था।बारिश में मौसम में तो ये हालत और बुरी हो जाती थी।

मुकेश ने जिस तरह से बेकार समझे जानें वाले गोबर को प्रयोग में लाया वह काबिले तारीफ है।इस काम से देश में स्वच्छता को तो बढ़ावा मिलेगा ही। साथ ही लोगों को प्रेरणा भी मिलेगी कि किस तरह से गंदगी से भी आमदनी की जा सकती है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...