हम अपने चारो तरफ बहुत सी गाड़िया देखते है। हर गाड़ी अलग रंग की होती है लेकिन सबका टायर काला ही होता है। टायर को देख आपके मन सवाल आता होगा, आखिर टायर का रंग काला ही क्यों होता है ? इसको किसने और कब बनाया ? ये सभी सवाल आपके मन में आते होंगे। हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे आखिर टायर का रंग काला क्यों होता है ?
उससे पहले आपको बता दे टायर को रॉबर्ट विलियम थॉमसन (1822-1873) ने वास्तविक पहले वल्केनाइज्ड रबर वायवीय ने टायर का आविष्कार किया था। थॉमसन ने 1845 में अपने वायवीय टायर का पेटेंट कराया, और उनके इस आविष्कार ने अच्छी तरह से काम तो किया, लेकिन वह बहुत महंगा था।
आपकी जानकारी के लिए बता दे टायर का रंग “कार्बन ब्लैक” की वजह से काला होता है। शायद आप जानते होंगे कि रबर का प्राकृतिक रंग सफेद होता है। और टायर का कंपाउंड बनाने के लिए “कार्बन ब्लैक” को पॉलिमर के साथ मिलाया जाता है। कार्बन ब्लैक को रबर के साथ मिलाने पर टायरों की स्ट्रेंथ और ड्यूरोबॉलिटी बढ़ जाती है।
साथ ही कार्बन ब्लैक ड्राइविंग के दौरान गर्म हो जाते टायर को तपिश से बचाता है। साथ ही इसके जीवन काल को बढ़ा देता है। कार्बन सूर्य की यूवी किरणों से रक्षा करते हुए टायरों की गुणवत्ता भी बनाए रखता है। काले टायर न केवल स्थायित्व और शक्ति को बढ़ाते हैं, बल्कि सुरक्षित ड्राइविंग को भी सुनिश्चित करते हैं क्योंकि कार्बन ब्लैक स्थिरता प्रदान करता है।