AddText 06 16 06.42.45

NSG Salary: अक्सर हम देखते हैं कि आर्मी के जवानों से अलग वीआईपी लोगों की सुरक्षा में ‘ब्लैक कैट कमांडो’ को तैनात हैं. अपनी काले कलर के ड्रेस में ये कमांडो काफी बोल्ड दिखते हैं. बताया जाता है कि ये देश के चुने हुए जवान होते हैं, जो मुश्किल से मुश्किल परिस्थियों में भी लोगों की जान बचाते हैं. यहां तक कि 26/11 के आंतकी हमले में भी इन्हीं जवानों ने सबसे आखिर में मोर्चा संभाला था.

Also read: बिहार के पटना, गया, समस्तीपुर बरौनी के साथ-साथ इन जगहों से चलाई गई समर स्पेशल ट्रेन मिल रहा कन्फर्म टिकट

ऐसे में किसी भी युवा के दिल में ब्लैक कैट कमांडो बनने की इच्छा हो सकती है. लेकिन यह कोई बच्चों का खेल नहीं है. आइए जानते हैं कि ब्लैक कैट कमांडो यानी NSG फोर्स में शामिल होने के लिए क्या करना पड़ता है और उन्हें कितनी सैलरी मिलती है? 

Also read: बिहार के बेटी का UPSC में जलवा अच्छे मार्क्स लाकर पुरे प्रदेश में अपने माता-पिता सहित गाँव समाज का मान सम्मान बढाया!

कैसे किया जाता है चुनाव (Black Cat Commando Selection Process)
दरअसल, जिन्हें हम ब्लैक कैट कमांडो कहते हैं, वो नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के जवान होते हैं. इस फोर्स का गठन साल 1984 में किया गया था, ताकि देश के विशिष्ट लोगों की सुरक्षा की जाए, जिसमें प्रधानमंत्री से लेकर कई अन्य जरूर व्यक्ति शामिल होते हैं. अगर इस फोर्स में चयन की बात की जाए,

Also read: Bihar Weather : बढ़ते गर्मी से परेशान है लोग अभी कुछ दिन नहीं होगी वर्षा पारा 40 डिग्री पार, इन जिलों में लू का अलर्ट, जानिये अपने क्षेत्रों का हाल?

तो कोई सीधी भर्ती की प्रक्रिया नहीं है. इसके लिए चुनिंदा जवानों का चयन आर्मी और अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ियों से किया जाता है. करीब 53 फीसदी चयन इंडियन आर्मी से होता है. इसके अलावा 47 फीसदी चयन  4 अर्ध सैनिक बलों यानी सीआरपीएफ (CRPF), आईटीबीपी (ITBP), आरएएफ (RAF) और बीएसएफ (BSF) से किया जाता है. 

90 दिन की होती है जबरदस्त ट्रेनिंग ( Black Cat Commando Training)
शुरुआत में चुनाव के लिए एक परीक्षा से गुजरना होता है. जो दरअसल, एक हफ्ते की कठोर ट्रेनिंग होती है.  बताया जाता है कि इसमें 80 फीसदी जवान फेल हो जाते हैं. सिर्फ 20 फीसदी ही अगले चरण में पहुंचते हैं. अंतिम राउंड के टेस्ट तक यह संख्या 15 फीसदी तक आ जाती है. 

अंतिम चयन के बाद शुरू होता है, सबसे कठिन दौर. यह पूरे तीन महीने यानी 90 दिन की ट्रेनिंग होती है. इस दौरान फिजिकल और मेंटल दोनों की ट्रेनिंग दी जाती है. बताया जाता है कि जिन जवानों की योग्यता ट्रेनिंग के शुरुआत में 40 फीसदी होता है, वह अंत आते-आते 90 फीसदी तक पहुंच जाते हैं.   बैटल असाल्ट ऑब्सक्टल कोर्स और सीटीसीसी काउंटर टेररिस्ट कंडिशनिंग कोर्स की भी ट्रेनिंग दी जाती है. सबसे अंत में मनोवैज्ञानिक टेस्ट होता है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...