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अपने जीवन में हर कोई कामयाबी की ऊंचाई तक जाना चाहता है। वह हर संभव कोशिश करता है कि सफलता के शिखर को छू सकें। लेकिन हर कोई इसे संभव नहीं कर पाता। जो सपनों के आगे घुटने नहीं टेकता, वही कामयाबी के शिखर तक पहुंच पाता है।

बच्चों की कामयाबी के पीछे माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान होता है। वे अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिये दिन-रात हर संभव प्रयास करतें हैं। इस पूरे संसार में मां ही एक ऐसी शख्स होती है जो बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चे को सफलता के मार्ग में आगे बढ़ाने और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करती है। इसके लिये वह अपने सुख-सुविधाओं का भी त्याग करती है।

एक मां खुद सभी प्रकार के कष्ट सहन कर अपने बच्चों को सारी सुविधायें उप्लब्ध करवाती हैं, ताकी उसके बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई कमी न हो और वह जीवन में आगे बढ़ते रहे। मां के बारें जितना भी कुछ कहा जाये, वह कम ही है। बच्चे कभी चाहकर भी अपने माता-पिता का कर्ज नहीं उतार सकते।

अपने बेटों के सपने को पूरा करने के लिये उनकी मां रातभर बिना सोये तुरपाई का काम करने लगीं और उनके पिता सिलाई का काम करते। वे चाहते थे कि उनके बेटे बड़े आदमी बने। ऐसे में आर्थिक तंगी को देखते हुयें बेटे को पढ़ाना बहुत कठिन कार्य था। लेकिन इसके बावजूद भी वे अपने बेटों की पढ़ाई के लिये किताबें, फीस, जरुरत की दूसरी सभी चीजों को उपलब्ध करवाते थे,

ताकी उनके बेटों का सपना पूरा हो और वे एक दिन बड़े आदमी बन सके। पंकज और अमित पढ़ाई में बहुत तेज थे। इसलिए उन्हें पढ़ाई करने में ज्यादा कठिनाई नहीं होती थी। आमदनी को बढ़ाने के लिये पंकज और अमित की मां रात-रात भर कपड़ों की तुरपाई का काम करती थी, ताकी बेटों की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट न हो।

अपने माता-पिता के बलिदान और संघर्ष को देखकर पंकज और अमित दोनों भाईयों ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह सपना जरुर पूरा करेंगें और अपने मां-बाप का सर गर्व से ऊंचा करेंगें। ये दोनों भाईयों ने जम कर तैयारी शुरु की और उनकी मेहनत रंग लाई।

पंकज और अमित दोनों भाइयों ने साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। यूपीएससी की परीक्षा में पंकज को 443वीं रैंक और अमित को 600वीं रैंक मिली। पंकज और अमित के सफलता के बारें में उनके माता-पिता को सूचना मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके आँखो से खुशी के आंसू छलक आये।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...