दोस्तों, ज़रूरी नहीं कि सफल बनने के लिए हम बड़े महापुरुषों या फिर दूसरे सक्सेसफुल लोगों को ही रोल मॉडल बनाकर उनके अनुसार बताए गए रास्ते पर चलकर कामयाबी हासिल करें, बल्कि कई बार जो प्रेरणा हम बाहर की दुनिया में खोजते रहते हैं वह हमारे आसपास या फिर हमारे घर परिवार में ही मिल जाती है।
इसी का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है, झारखंड के दुमका शहर में स्थित कुम्हारपाड़ा (बढ़ई पाड़ा) के रहने वाले ऋषि आनंद (IAS Rishi Anand) ने। इन्होंने UPSC की परीक्षा में 145वीं रैंक प्राप्त की और IAS अफसर बने। ऋषि आनंद के छोटे भाई रवि आनंद IAS बन चुके थे, फिर उन्हीं से प्रेरणा लेकर ऋषि ने अभी यूपीएससी परीक्षा देने का निश्चय किया था। ऋषि आनंद ने बताया कि उनसे पूर्व 2 वर्ष पहले उनके छोटे भाई रवि ने वर्ष 2018 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था, जिसमें उन्हें 79वीं रैंक मिली थी।
झारखंड निवासी ऋषि आंनद एक मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बंध रखते हैं। उनके परिवार में माता-पिता के अलावा तथा एक छोटा भाई रवि है। ऋषि के पिताजी का नाम दीपक कुमार शर्मा है, जो घाटशिला के जल संसाधन विभाग में कार्यपालक अभियंता के तौर पर कार्यरत हैं।
उनके पिताजी की आर्थिक परिस्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए ऋषि की प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज की पढ़ाई भी काफ़ी साधारण स्कूल या कॉलेज से पूरी हुई थी। 12वीं कक्षा पास करने के पश्चात के ऋषि ने इंजीनियरिंग पूरी की, फिर उनका प्लेसमेंट हुआ और उन्हें नौकरी मिल गयी।
छोटे भाई IAS रवि आनंद से मिली प्रेरणा
अब तक ऋषि ने UPSC एग्जाम देने के बारे में बिल्कुल नहीं सोचा था। फिर जब उनके छोटे भाई रवि आनन्द ने सिविल सर्विसेज के एग्जाम में सफलता प्राप्त की और 79 वीं रैंक के साथ IAS बने तो उन्हीं से मोटिवेट होकर ऋषि को भी यूपीएससी एग्जाम देने की इच्छा जागृत हुई। इसके अलावा जब वे दूसरी नौकरी कर रहे थे उस दौरान उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ काम करने का भी अवसर प्राप्त हुआ,
बार असफल होने के बाद पांचवी बार में मिली सफलता
जब ऋषि और उनके छोटे भाई दिल्ली में रहते हुए यूपीएससी एग्जाम (UPSC Exam) की तैयारी कर रहे थे, उसी बीच उनके छोटे भाई परीक्षा में जल्दी ही पास हो गए थे, परंतु ऋषि के साथ ऐसा नहीं था। उन्हें पास होने में उनके भाई की अपेक्षा काफ़ी ज़्यादा समय लगा। बार-बार परीक्षा में असफल होने के बारे में बताते हुए ऋषि कहते हैं की, पहली बार जब उन्होंने परीक्षा दी थी तब उनकी तैयारी ठीक से नहीं हुई थी, उसके बाद भी वे लगातार एग्जाम देते रहे पर हर बार वे बार-बार प्री परीक्षा भी क्लियर नहीं कर पाते थे