बिहार के सियासत में बिहार विधानसभ चुनाव से ही लोंक जन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीतने का दावा कर रहे थे इसके साथ ही बयानबाजी भी सियासी गलियारों में धारदार रही थी लेकिन चुनाव के बाद लोजपा का चुनाव में जितनी सीटों मिली उससे लोजपा को काफी झटका लगा हालाँकि यह झटका रुका भी नहीं , एक के बाद एक झटके चिराग को मिले.
चुनाव में महज 1 सीट पर जीत दर्ज करने के बाद उनके पार्टी से विधायकों का दल बदल जारी है. पहले भी लोजपा से विधायकों का पार्टी छोड़कर जाने की खबर सुर्ख़ियों में आई थी . अभी हाल ही में पार्टी के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह ने पिछले दिनों लोजपा छोड़कर जदयू का दामन थाम लिया था. और अब एक बार फिर पार्टी के 5 सांसदों ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया है.
चिराग के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में अन्य सांसदों ने भी बगावत कर दी है. उनके साथ साथ चिराग के चाचा प्रिंस राज, वीणा देवी , सांसद महबूब अली कैंसर, चन्दन सिंह ने चिराग का साथ छोड़ दिया है.
सूत्रों के मुताबिक इन सभी ने लोकसभा आध्यक्ष को पत्र भेजा था जिसके मुताबिक चिराग के बजाय पशुपति को नेता चुना जाना था. वहीँ चिराग इस मामले पर पूरी तरह खामोश हैं. डैमेज कंट्रोल के लिए पूरी रात कवायद जारी रही वहीँ सूत्रों से यह भी खबर आ रही है कि चिराग पासवान ने अबतक अपने ही पार्टी के सांसदों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.
कल ललन सिंह से पशुपति पारस सहित अन्य नेताओं की मुलाकात हुई थी जिसके बाद यह बड़ा सियासी बदलाव हुआ है जो चिराग के लिए एक झटका है. हालाँकि अभी लोकसभा अध्यक्ष के तरफ से आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुए हैं जो होना शेष है . बहरहाल रामविलास पासवान के गुजरने के बाद लगभग एक साल भी पूरे नहीं हुए और पार्टी में मतभेद के बाद टूट के बगावत होनी शुरू हुई और चिराग अब अकेले पड़ते मालूम पड़ रहे हैं. वहीँ सियासत में भी उनकी स्थिति काफी कमजोर रही है.