अक्सर आपके मन में सवाल आता होगा की आखिर एयरलाइन्स माउंट एवरेस्ट और प्रशांत महासागर के रास्ते से क्यों नहीं जाती है ? लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है ? क्यों हवाई जहाज़ माउंट एवरेस्ट और प्रशांत महासागर के रास्ते नहीं उड़ती हैं?
आपके मन में हमेशा यह सवाल आता होगा कि एयरलाइन्स माउंट एवरेस्ट और प्रशांत महासागर के रास्ते से दूरी तय नहीं करती है, बल्कि इन रास्तों के बजाय अन्य वैकल्पिक रास्ते को चुनती हैं। जिसके लिए हवाई जहाज़ को लंबी दूरी ही क्यों न तय करनी पड़े। अगर आप इन सवालो का जवाब नहीं जानते हैं, तो आज हम आपको अपने इस पोस्ट के ज़रिये इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
की आखिर क्यों हवाई जहाज़ को उड़ाने वाले पायलट अन्य मार्गों को ही चुनते हैं। माउंट एवरेस्ट और प्रशांत महासागर के रास्ते से क्यों नहीं जाते है ? आपकी जानकारी के लिए बता दे अधिकतर कमर्शियल एयरलाइन्स हिमालय या प्रशांत महासागर के रास्तों से हवाई उड़ान भरने से बचते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि, मौसम संबंधी सारी घटनाएं क्षोभमंडल में घटती है। और इसकी ऊंचाई स्थलमंडल से 20 किलोमीटर ऊपर तक होता है।
क्योंकि हवाई जहाज़ मौसम संबंधी सारी घटनाओं से बचने के लिए 30,000 फ़ीट ऊपर उड़ते हैं जिसका केंद्र समताप मंडल होता है। इस मंडल में मौसम संबंधी कोई घटनाएं नहीं घटती हैं और इस मंडल में वायुयान के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं हैं।
आपको बता दे अगर पायलट हिमालय या प्रशांत महासागर के रास्तों को चुनती है तो, उन्हें मौसम संबंधी घटनाओं से गुज़रना पड़ता है, जहां पर ऑक्सीजन की भी कमी होती है। साथ ही साथ हिमालय की चोटियों पर वायु गति भी असमान्य रहती है। जिसके कारण एयरलाइनों की गति पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, यात्रियों को भी यात्रा में असहजता हो सकती है।
वहीं अगर हम हिमालय के क्षेत्रों की जनशंकया की बात करे तो, हिमालय के क्षेत्रों में कम जनसंख्या होने के कारण नेविगेशन रडार सर्विस भी न के बराबर है। जिससे पायलट को ज़मीन से सम्पर्क साधने में बहुत साड़ी कठिनाई हो सकती है। और आपातकाल स्थिति में पायलट को कोई भी मदद नहीं मिल पाएगी। इसलिए हिमालय या पैसिफिक महासागर के ऊपर से उड़ाने की जगह उड़ानें घूम के जाना बेहतर समझती हैं।