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आनंद ने बताया कि वह 23 मई को देर रात बेंगलुरु पहुंचने के लिए घर से साइकिल लेकर निकले थे और 26 मई को दवा लेकर वो वापस अपने घर लौट आये।

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माता-पिता अपने बच्चे की जान बचाने के लिए  हर संभव कोशिश करते हैं। ऐसे ही एक खबर कर्नाटक से आयी है जहां  45 वर्षीय व्यक्ति ने लॉकडाउन के दौरान अपने बेटे की दवा लेने के लिए लगभग 280 किलोमीटर साइकिल चलाई। जानकारी के अनुसार कर्नाटक के मैसूर में राजमिस्त्री का काम करने वाले आनंद नाम के एक शख्स का बेटा पिछले दस वर्षों से बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) में अपना इलाज करवा रहा था। लेकिन राज्य में लॉकडाउन के कारण आनंद अपने बेटे को चिकत्सीय जांच के लिए और दवाई का प्रबंध नहीं कर पा रहे थे। आनंद ने कहा कि बेंगलुरु के डॉक्टर ने उनकी साइकिल से आने की बात पता चलने पर उन्हें 1,000 रुपये का इनाम दिया।

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दरअसल तिरुमकुदल नरसीपुर तालुक के गनीगनकोप्पलु गांव में रहने वाले आनंद ने बताया कि वह 23 मई को देर रात बेंगलुरु पहुंचने के लिए घर से निकले थे। रास्ते में उन्होंने एक मंदिर पर आराम भी किया। उन्होंने यह भी बताया कि रास्ते में कई लोगों ने उन्हें ठहरने की जगह भी दी। 26 मई को दवा लेकर वो वापस अपने घर लौट आये।

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आनंद ने बताया कि मेरे बेटे का इलाज़ बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज में चल रहा है। हम हर महीने दवा लेने अस्पताल जाते थे। लेकिन लॉक डाउन की वजह से दवा नहीं ला पा रहे थे। दवा लाना बेहद जरुरी था क्योंकि डॉक्टर ने सलाह दी थी कि अगर एक बार दवा छूट गई तो हमें 18 साल और दवा जारी रखनी होगी।

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उन्होंने कहा कहा कि मोटरसाइकिल से जाने पर इस बात का डर था कि पुलिस उसे बीच में ही रोक देगी। बेटे की दवा लाने के लिए मेरे पास साइकिल से जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। इसलिए मैं साइकिल ही बेंगलुरु पहुंच गया। जब डॉक्टरों को इसकी जानकारी तो उन्होंने मुझे इनाम दिया।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...