बिहार की शाही लीची का स्वाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी चखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में लीची के लंदन जाने की चर्चा की तो बिहार के किसानों का सीना चौड़ा हो गया। पीएम ने भी कहा कि इससे देश का गौरव बढ़ा है। इससे शाही लीची को जीआई टैग दिलाने की पहल करने वाले अधिकारी और वैज्ञानिक भी खुश हो गये।

शाही लीची एक सप्ताह पहले लंदन के लिए भेजी गयी। वर्ष 2018 में शाही लीची को भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री (जीआई टैग) मिला तो यह प्रमाणपत्र पाने वाला बिहार का चौथा कृषि उत्पाद हो गया। इसके पहले जर्दालु आम, कतरनी चावल और मगही पान को यह प्रमाणपत्र मिल चुका है।

Also read: India New Expressway: इसी साल में बनकर तैयार होंगे भारत का दूसरा सबसे लंबा सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे, निर्माण में खर्च किये जायेंगे 50 हजार करोड़ रुपये

Also read: Bullet Train In Rajsthan: दिल्ली – अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत राजस्थान के 7 जिलों के 335 गावों से होकर भी गुजरेगी बुलेट ट्रेन, खबर में जानिए पूरी डिटेल्स…

वैसे राज्य में अब तक कई हस्तकला को भी यह प्रमाण पत्र मिल चुका है। मधुबनी पेंटिंग को 2006 में ही यह प्रमाणपत्र मिला था। उसके बाद एप्लिक कटवा पैच, सुजनी इंब्रायडरी और सिक्की कला को भी वर्ष 2007 से 2012 के बीच जीआई टैग मिला था। इन कलाओं के लोगों को वर्ष 2016 और 2017 में जीआई टैग मिला था।

पीएम ने कहा कि जीआई टैग ने शाही लीची की पहचान मजबूत की है। इससे किसानों को ज्यादा फायदा होगा। इस बार बिहार की शाही लीची हवाई मार्ग से लंदन भेजी गई है। देश ऐसे ही अपने स्वाद एवं उत्पादों से भरा पड़ा है। उन्होंने किसानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि व्यवस्था ने इस महामारी से अपने को काफी हद तक सुरक्षित रखा। सुरक्षित ही नहीं रखा, बल्कि प्रगति भी की। इस महामारी में किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन भी किया। देश ने रिकॉर्ड फसल खरीदारी भी की है। रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन से ही हमारा देश हर देशवासी को संबल प्रदान कर पा रहा है।

वहीं कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने भी इसपर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने बिहार की लीची की चर्चा और किसानों का उत्साहर्धन करने के लिए पीएम के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि इससे दूसरे किसान भी काफी उत्सहित होंगे और बिहार को लाभ होगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. आरके सोहाने ने कहा कि शाही लीची ने बिहार के किसानों को विश्वस्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है। इससे दूसरे किसानों को भी प्रेरणा मिली है।

साभार :- Hindustan

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...