केंद्र सरकार ने छात्रों के हित में बड़ा फैसला लिया है। मिड डे मील योजना के तहत एक से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर किया जाएगा। दोपहर भोजन योजना (मिड डे मील) के तहत छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए पैसा मुहैया कराने का फैसला किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 11 करोड़ 80 लाख छात्रों को विशेष राहत उपाय के तौर पर यह सहायता उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार के इस उपाय से देश में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में एक से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को लाभ होगा।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, केंद्र सरकार इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एक हजार दो सौ करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मुहैया कराएगी। इस निर्णय से कोविड महामारी के दौरान बच्चों को जरूरी पोषण उपलब्ध कराने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस बात की जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर दी है।
मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील) 15 अगस्त 1995 को शुरू की गई थी। इसे ‘नेशनल प्रोग्राम ऑफ न्यूट्रिशनल सपोर्ट टू प्राइमरी एजुकेशन’ के तहत शुरू किया गया था। साल 2017 में इस एनपी-एनएसपीई का नाम बदलकर ‘नेशनल प्रोग्राम ऑफ मिड डे मील इन स्कूल’ कर दिया गया। आज यह नाम मध्याह्न भोजन योजना के नाम से मशहूर है।
इस योजना को शुरू करने के पीछ कुछ खास मकसद था। वंचित और गरीब वर्ग के बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के साथ पौष्टिक भोजन मुहैया कराया जा सके, इसके लिए दोपहर भोजन योजना शुरू की गई थी।
स्कूलों में नामांकन की दर बढ़े, ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल आएं, इसके लिए यह योजना शुरू की गई। भोजन के लिए बच्चों को स्कूल से घर न भागना पड़े, इसलिए 1-8 कक्षा के छात्रों को स्कूल में बनाए रखने के लिए यह योजना शुरू हुई।