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दुनिया का निर्माण कब हुआ, इसकी सटीक जानकारी नहीं है. वैज्ञानिक (Scientists) शोध के जरिये पृथ्वी के बारे में हर रोज कोई ना कोई नई जानकारी निकालते रहते हैं. जब भी इंसान को लगता है कि उसने दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर लिया है, तब तब प्रकृति कोई ऐसा विनाश दिखाती है कि मानव उसके सामने असहाय हो जाता है.

अभी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. इस वायरस की वजह से लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी. अभी भी ये वायरस कंट्रोल में नहीं आया है. इस बीच बोस्टन (Boston) की एक लाइब्रेरी द्वारा पोस्ट किये गए आर्टिकल से पता चलता है कि अभी से 300 साल पहले भी दुनिया में ऐसी एक महामारी फैली थी, जिसने लाशों की कतारें बिछा दी थी.

रिकार्ड्स के मुताबिक, 17वीं शताब्दी के दौरान चेचक ने दुनिया में पैर पसारे थे. इसने धीरे-धीरे बाकी दुनिया को अपनी चपेट में लिया था. चूंकि, उस समय एक देश से दूसरे तक जाने के लिए हवाई यात्रा की सुविधा नहीं थी,इस वजह से एक जगह से दूसरे जगह जाने में इस बीमारी ने समय लिया. लेकिन जहां भी ये फैला, वहां मौत का तांडव मच गया. अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए काम करने यूएस सेंटर के रिकार्ड्स के मुताबिक, अमेरिका में चेचक की आखिरी लहार 1949 में आई थी. लेकिन तब तक लाखों जिंदगियां खत्म हो गई थी.

कोविड से लड़ने के लिए बनाए गए इंजेक्शंस कई ट्रायल से गुजरे हैं. कई देशों ने अपनी रिसर्च के आधार पर वैक्सीन बनाए. भारत में कोवैक्सीन और कोविशील्ड दी जा रही है. लोग तब भी इसे लगवाने से डर रहे हैं. जब चेचक की वैक्सीन बनाई गई, तब इसका पहला ट्रायल 4 साल के एक बच्चे पर किया गया था. 1897 में इसकी वैक्सीन बनाई गई.

WHO के मुताबिक़, 1980 में चेचक को महामारी की लिस्ट से बाहर किया गया. तब से एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया, जिसमें चेचक की वजह से किसी की मौत हुई हो. इस रिकॉर्ड के मुताबिक़, चेचक को खत्म होने में पूरे 280 साल लगे थे. अब कोरोना से दुनिया कब मुक्त होगा, ये देखने वाली बात होगी.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...