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बिहार में शिक्षक नियोजन के दौरान हुई गड़बड़ी की परतें अब एक एक कार खुल रही हैं. सरकार ने शिक्षकों के नियोजन से जुड़ा फोल्डर शिक्षा विभाग के वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा तो इस गड़बड़झाले की खबर हर जिले से सामने आने लगी. आपको यह जानकर हैरत होगी.

कि बिहार में ऐसे नियोजित शिक्षक भी सेवा दे रहे हैं, जिनकी उम्र अपनी पत्नी से 20 साल कम है. सबसे बड़ा अजूबा तो यह है कि बेटी से महज 6 माह बड़ी मां भी बिहार में नियोजित शिक्षक है. इतना ही नहीं मुखिया जी की साली से लेकर पंचायत सचिव की बेटी तक का नियोजन शिक्षक के तौर पर खूब हुआ है.

हम जो मामला आपको बता रहे हैं वो बेगूसराय जिले से जुड़ा है. शिक्षक नियोजन में यहां बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पायी जा रही है. फर्जी शिक्षकों की पहचान के लिए सरकार ने नियोजन प्रक्रिया से जुड़ा दस्तावेज विभाग की वेबसाईट पर अपलोड करने को कहा है.

अब गलत तरीक़े से नियोजित होने वाले शिक्षकों का पसीना छूट रहा है. विभाग ने पहले ही कहा है कि जिन शिक्षकों का फोल्डर अपलोड नहीं हुआ उनकी सूची बनाकर एनआईसी की वेबसाइट पर डालें.

साल 2006-2015 के बीच नियुक्त धबौली पंचायत के शिक्षक अपीलीय प्राधिकार से केस हारने के बाद हाल भी वेतन उठा रहे हैं. कुछ ऐसे भी पंचायत है, जहाँ लिखित परीक्षा का आयोजन तो किया गया लेकिन बहाली उसी का हुआ जिसका सेटिंग था.

यही कारण है कि अब जब विभाग एनआईसी के पोर्टल पर शिक्षकों का फोल्डर अपलोड करने को कहा गया तो ऐसा नहीं किया जा रहा है. इतना ही नहीं मेरिट लिस्ट विभाग को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. वर्तमान प्राथमिक में कुछ बीईओ और बीआरपी की मिलीभगत से फर्जी शिक्षकों को वेतन भी दिया जा रहा है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...