ब्लैक फंगस के गंभीर मरीजों की संख्या थम नहीं रही है। यही कारण है पटना एम्स का ब्लैक फंगस वार्ड फुल हो गया है। यहां तीस बेड का वार्ड बना है, पर भर्ती मरीजों की संख्या 50 हो गई है। वहीं, इस बीमारी से छपरा निवासी प्राचार्य की आईजीआईएमएस में मौत हो गई।
शनिवार को पटना में ब्लैक फंगस के कुल 42 और छपरा में सात मरीज मिले। इस तरह राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़कर 223 हो गई है। पटना एम्स का ब्लैक फंगस वार्ड तीन दिन पहले भी भर चुके थे। आईजीआईएमएस में भी अब तक 43 मरीज भर्ती हो गए हैं, यहां पचास बेड का ब्लैक फंगस वार्ड बना है।
आईजीआईएमएस में सारण के रामदयाल शुभ नारायण उच्चतर माध्यमिक स्कूल, बड़ा तेलपा के प्राचार्य डॉ शुभ नारायण सिंह हैं। उनके पुत्र सौरभ कुमार ने बताया कि वे शुगर के मरीज थे।
उनकी आंखों की रोशनी कम हो रही थी। तब उन्हें पटना में नेत्र चिकित्सक को दिखाया गया, जहां डॉक्टरों ने आईजीएमएस में ले जाने की सलाह दी। वहां के डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस की पुष्टि की थी।
एम्स पटना की ईएनटी विभाग की अध्यक्ष डॉ. क्रांति भावना ने बताया कि जिस तेजी से ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उससे एम्स में बेड तो कम पड़ ही गए हैं, अन्य अस्पतालों में भी मुश्किल हो सकती है। उन्होंने बताया कि एम्स में फिलहाल 50 मरीज भर्ती हैं। उनमें से कई आईसीयू और कोविड वार्ड में भी भर्ती हैं।
राज्य के ज्यादातर अस्पताल में इस बीमारी के लिए अलग व्यवस्था नहीं होने से राज्यभर से मरीज यहां रेफर होकर पहुंच रहे हैं। एम्स में कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि ज्यादातर मरीज ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे शहरों और दूर-दराज के जिले से आ रहे हैं। बताया कि बीमारी के दौरान ऑक्सीजन और दवाइयां लेने में सावधानी नहीं बरतने से ग्रामीण इलाके में ज्यादा लोग इसके पीड़ित हो गए हैं।