गंगा में शवों का मिलना मछुआरों के लिए परेशानी बनकर खड़ी हो गयी है। मछुआरों के जाल में शव फंस जाते है यह बात आम लोगों तक भी पहुंच गई है जिससे कि लोग मछली खरीदने से साफ इनकार कर रहे है। मछुआरों को हर दिन चार से पांच हजार रुपये का नुकसान होता है। 

गंगा की मछली से लोगों का तौबाएक मछली विक्रेता अर्जुन सहनी का कहना है कि लोग पहले पूछते हैं कि मछली गंगा नदी की तो नहीं है न। मछुआरे जैसे ही कहते है गंगा की मछली है वैसे ही ग्राहक दूर से ही तौबा करने लगते है। तालाब और आंध्रा से मछली उतनी अधिक मात्रा में आती नहीं है और गंगा की मछली बिकती नही है। दुकान खोलने का समय भी इतना कम है। मछली लाने में ही आधा समय गुजर जाता है। दो घंटे मछली बिकती भी नहीं है।

Also read: India New Expressway: इसी साल में बनकर तैयार होंगे भारत का दूसरा सबसे लंबा सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे, निर्माण में खर्च किये जायेंगे 50 हजार करोड़ रुपये

Also read: Bullet Train In Rajsthan: दिल्ली – अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत राजस्थान के 7 जिलों के 335 गावों से होकर भी गुजरेगी बुलेट ट्रेन, खबर में जानिए पूरी डिटेल्स…

अनिल सहनी ने बताया कि दो-तीन दिन पहले एनआइटी घाट से कुछ ही दूर आगे मछुआरे मछली पकड़ रहे थे। कुछ घंटों बाद जाल में कुछ फंसा। जब जाल खिंचा जाने लगा डेंगी हिलने लगी।

पहले लगा की कोई बड़ी मछली है लेकिन जैसे ही जाल ऊपर आया उसमें एक युवक की लाश थी। मछुआरे जाल को वहीं फेंक कर किनारे आ गये और लोगों को बताया। आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...