कोरोना संक्रमण के संकट से जूझ रहे बिहार को अब बाढ़ की चिंता भी घेरने लगी है. कोरोनावायरस के इस दूसरे दौर में एक तरफ जहां सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को प्रमुखता से देख रही है और बिहारवासी संक्रमण से बचाव व इलाज की ओर लगे हुए हैं.
वहीं दूसरी ओर कई इलाकों के लोगों को हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ की चिंता सताने लगी है. संभावित बाढ़ को लेकर सीएम नीतीश कुमार के दिए आदेश के बाद अब पीएचईडी विभाग ने गाइडलाइन्स जारी कर दिया है. विभाग ने 26 जिलों को चिन्हित कर जिला प्रशासन को पत्र लिख पहले से तैयारी करने का निर्देश दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएचईडी विभाग के सचिव ने जिलों के अभियंताओं को यह निर्देशित किया है कि संभावित बाढ़ क्षेत्रों में पेयजल, शौचालय और स्वच्छता आदि की व्यवस्था पहले से कर लें.
बाढ़ की स्थिति में राहत शिविर लगाए जाने वाले स्थानों पर तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए जिन सामग्रियों की जरुरत पड़ती है उसकी व्यवस्था भी पहले से ही कर लें.
सूबे के संभावित बाढ़ क्षेत्रों में उंचे प्लेटफॉर्म के साथ चापाकल लगाने के निर्देश के साथ ही चापाकलों के मरम्मत कराने की बात भी कही गयी है. जिन जिलों में निर्देश जारी किया गया है उनमें पटना,
आरा, बक्सर, सिवान, गोपालगंज, वैशाली, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, समस्तीपुर, खगड़िया, सुपौल, सहरसा, कटिहार, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मुंगेर, लखीसराय व भागलपुर शामिल हैं.
वहीं जल संसाधन विभाग भी बाढ़ पूर्व की तैयारी में लगा हुआ है. कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के कारण कई कर्मी काम करने में लाचार है उसके बाद भी तैयारी जारी है.
विभाग ने बाढ़ की तैयारी को लेकर अपना अधिसंख्य काम पूरा भी कर लिया है.पिछले साल नदियों के दबाव और संवेदनशील स्थलों के साथ-साथ तटबंधों में कटाव को देखते हुए बाढ़ पूर्व की 269 योजनाओं की स्वीकृति दी गई थी जो अब 298 कर दी गई है. इनमें क्षतिग्रस्त बाढ़ सुरक्षात्मक इन्फ्रास्ट्रक्चर भी शामिल है.
Input :- prabhat khabar