किसान का जीवन त्याग और मेहनत का जीवन है। दिन–रात मेहनत करने के बावजूद किसानों की हालत वर्तमान में बहुत खराब है। हमारे देश में किसान कहीं सूखे तो कहीं बाढ़ की समस्या से परेशान चल रहे हैं। पानी–बिजली की समस्या तथा कर्ज में डूबे मजबूर किसान आत्महत्या करने को मजबूर है. चुकी किसान को अपनी फसल के बदले में अच्छी खासी रुपया नहीं आ पाती है कवि वार्ड की का नुकसान हो जाता है तो कभी सूखा के कारण नुकसान हो जाता है.
लेकिन इस बदतर परिस्थिति के बाद भी कुछ होनहार किसानों का मोह भंग नहीं हुआ। वो आज भी देश के लिए दिनों–रात मेहनत करते आ रहे है। ऐसे ही एक किसान है जिन्होंने अपने साथ बाकी किसानों के लिए भी कुछ अच्छा करना शुरू किया है। आज हम बात करने जा रहे हैं सुधीर अग्रवाल (Sudhir Agrawal) की,जिन्होंने अग्रणी बीज उत्पादन में अपना एक अलग ही स्थान बना रखा है।
उत्तरप्रदेश (Uttar pradesh) के मथुरा जिले के भूरेका गाँव के रहने वाले सुधीर अग्रवाल दर्शनशास्त्र में M.A तथा वकालत की डिग्री हासिल किए हैं। उन्हें देश भर में अग्रणी बीज उत्पादक किसान के रूप में जाना जाता है। उत्तर प्रदेश का पहला ग्रामीण बीज उत्पादक गोदाम के प्रबंधन में सुधीर जी का काफी योगदान है।
सुधीर अग्रवाल जी को किसान से बहुत प्रेम है और यह किसान करने के लिए अपनी वकालत छोड़ दी और उसके बाद किसानों को खूब मदद की और उत्तर प्रदेश में एक बहुत बड़ा बीज का गोदाम खोल दिया.
बीज उत्पादन के पहले सुधीर अग्रवाल ने दिल्ली तथा कानपुर के कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों से परामर्श लिया। सुधीर ने 2001 में जबलपुर के कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में बीज उत्पादन शुरू किया। पहले साल 40 हेक्टेयर में बीज उत्पादन किया।
सुधीर ने वकालत की डिग्री के बाद खुद पहल करके चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर से खेती की नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण लिया। पंतनगर से संकर धान बीज उत्पादन (पंत संकर धान-1) की विधि पर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।
सुधीर ने वैज्ञानिकों की बताई तकनीकी अपनाया तथा उन्होंने भरपूर फसल की उपज की। शुरुआत में सुधीर अग्रवाल के तकनीकी पे किसानों को भरोसा नहीं था और उन्होंने इस से जुड़ने से मना किया, 10 सालों तक सुधीर जी ने अपना कारोबार नहीं छोड़ा तथा उसके बाद उनके साथ अभी 800 किसान जुड़े हुए हैं।
अनुभवों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों एवं नाबार्ड के सहयोग से एक मामूली किसान से उठकर आज वह राष्ट्रीय स्तर के प्रगतिशील किसान के रूप में मशहूर हो चुके हैं। उनके खेत के उपजे फसल प्रदर्शनी के रूप में जाने जाते थे।
उनकी सफलता को देखकर आसपास के गांव के किसान भी बीज उत्पादन में रुचि दिखाने लगे। और सुधीर अग्रवाल जी का साथ देने लगे और उसके बाद सब्सिडी राजा अग्रवाल जी से
सुधीर अग्रवाल ने गेहूं, सरसों, मटर, चना, मूंग, अरहर, धान, बाजरा, ग्लेडियोलस, बरसीम, जई आदि के आधार-बीज तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने गेहूं और धान के कुछ ऐसे नई तकनीक के बीज का उत्पादन किया है.
जागरूकता बढ़ने के साथ ही मथुरा में देश का पहला ग्रामीण बीज गोदाम भी बना है। बीज उत्पादन के साथ-साथ सुधीर अग्रवाल के देसी विदेशी गाय, भैंस तथा बकरी भेड़ और उसके साथ ही साथ फूलों के भी कारोबार में लगे हुए हैं।
सुधीर ने ग्लेडियोलस और रजनीगंधा के फूलों की खेती भी शुरू की, लेकिन उन्हें फूलों को बेचने के लिए दिल्ली तक जाना पड़ता है। वह मानते हैं कि अभी भी हमारे किसान भाई औषधीय खेती के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं, फिर भी गाँव में सवा दर्जन किसान फूलों की खेती कर रहे हैं।
वे 2001 से लगातार खेतो में प्रत्येक वर्ष 400 कविंटल केंचुवा खाद का भी उत्पादन करते है। बीज उत्पादन के क्षेत्र में उन्नत कार्य करने के लिए उन्हें अब तक कई सम्मान मिल चुके हैं।
नरेन्द्र-359 का अधिक उत्पादन करने पर जिले के अग्रणी किसान का सम्मान भी उन्हें मिला। 1989 से 1995 तक ग्राम प्रधान रहे सुधीर जी ने अपने कार्यकाल के दौरान ज्यादातर ध्यान कृषि क्षेत्र में ही दिया। गन्ना विकास विभाग के तरफ से भी वे उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित हो चुके है।