कानपुर, जेएनएन। घाटमपुर में वृद्ध दंपती की मौत ने इंसानियत, संवेदना और मदद जैसे शब्दों को भी शर्मसार कर दिया। घर के अंदर चूल्हे ने उनकी दर्दनाक मौत की हकीकत बयां की तो देखने वालों के आंसू निकल आए। कहते हैं कि बेटा बुढ़ापे का सहारा बनता है.
लेकिन इन बूढ़े माता-पिता काे तो बेटे ने भी छोड़कर अलग घर बसा लिया था। अकेले घर में रहने वाले वृद्ध दंपती करीब पंद्रह दिन से बीमार थे और सांस लेने भी तकलीफ थी।
काफी दिन से बाहर नजर न आने पर मंगलवार की सुबह पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़ा तो चारपाई पर वृद्ध और पास में पानी लेने के लिए बर्तन हाथ में लिये वृद्धा का शव जमीन पर पड़ा देखा तो दिल दहल गए।
हथेरुआ गांव में मुरली संखवार (80) अपनी पत्नी रामदेवी (75) के साथ रहते थे। उनका बेटा बिहारी गांव के बाहर एक आश्रम में रहता है। बिहारी की पत्नी बेटे अरविंद और बहू साधना के साथ गांव में दूसरे घर में रहती है।
दोनों घर की दूरी करीब एक किलोमीटर है। साधना ने बताया कि बाबा मुरली और दादी रामदेवी को पांच दिन पहले बुखार आया था और खांसी भी आ रही थी। वह उसी दिन देखने आई थी।
उस दिन बीमारी की वजह से उन्होंने खाना भी नहीं खाया था, इसके बाद दोबारा वह नहीं आई। बीते चार दिन से उनके घर कोई नहीं गया था।
मंगलवार सुबह साधना फिर पहुंची तो घर का अंदर से दरवाजा बंद था। काफी देर बुलाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसी लड़के दीवार फांदकर अंदर दाखिल हुए। दरवाजा खोलकर गांव वाले घर में दाखिल हुए तो सन्न रह गए।
चारपाई पर मुरली का शव पड़ा था और कुछ दूरी पानी का बर्तन हाथ में लिये रामदेवी की लाश पड़ी थी। शवों से तेज बदबू आने के चलते तीन-चार दिन पहले मौत होने की शंका जताई जा रही थी।