बहुत मुश्किल हो रहा है कोरोना से बाहर निकलना व्हाट्सएप का हर मैसेज और मोबाइल की हर घंटी अब डराने लगी है। एक सदमे से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं उससे पहले दूसरी खबर आ जा रही है जी करता है कहीं दूर चले जाएं जहां वाट्सएप और मोबाइल का टावर ना रहे ।
टूट सा गये हैं इसलिए नहीं कि कुछ कर नहीं पा रहे हैं टूट इसलिए गये हैं कि सिस्टम और सरकार ऐसा लग रहा है कि वो मौत का ही इंतज़ार कर रहा है इतना बेरहम तो गिद्ध भी नहीं है।
अररिया से एक खबर आयी है माँ पिता दोनों कोरोना के शिकार हो गये हैं घर में बस दादी, दो बहन और एक छोटा भाई बचा है इलाज में सारे पैसे खत्म हो चुके हैं घर में खाने के लिए एक दाना भी नहीं बचा है सब कोई साथ छोड़ दिया किसी तरह बेटी प्रियंका अकेले मां का अंतिम संस्कार की है।
वही दूसरा और बिहार के अमेरिका,ब्रिटेन सहित विदेश में रहने वाले सैकड़ों डाँ सीएम और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और प्रधान सचिव से सम्पर्क कर रहे हैं कि मैं बिहार आना चाह रहा हूं इलाज करने के लिए।
लेकिन अभी तक ये लोग अनुमति नहीं दे रहे हैं सभी चार्टट प्लेन से आने को तैयार है इसके लिए केन्द्र सरकार की भी सहमति चाहिए लेकिन तीन दिनों से बातचीत ही चल रही है ।
एनएमसीएच के डाँ ने एक सलाह दिया कि बिहार के पीएचसी में पदस्थापित डां को एक माह के लिए पटना पोस्ट कर दे नर्स और मेडिकल स्टाफ के साथ और उनके रहने खाने की जिम्मेवारी पटना सिटी गुरुद्वारा को दे दी जाये गुरुद्वारा प्रबंधक इसके लिए तैयार भी है ऐसा होने से एनएमसीएच की क्षमता भी बढ़ जाएगी और बेहतर इलाज भी होने लगेगा ।
तीन दिन पहले मैंने डाॅ के इस प्रस्ताव को सरकार तक पहुंचा दिया लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है ।
24 घंटे काम कर रहे पीजी डाँ से हमारी लगातार बातचीत हो रही है अब उन लोगों का मैस भी बंद होने लगा है.
ब्रेड और दूध खाकर सो रहे हैं सरकार जब गरीब लोगों के लिए रसोई चला सकता है तो मेडिकल स्टाफ के लिए क्यों नहीं चला सकता है जो 24 घंटे ड्यूटी कर रहा है ।
input :- daily bihar