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बिहार में कोरोना महामारी का कहर लगातार जारी है. राज्य में फ्रंट लाइन वर्कर्स के अलावा सरकारी सेवाओं में लगे कर्मी भी अपनी जिंदगी से हाथ धो रहे हैं. सूबे में कोरोना से अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक इंजीनियरों की मौत हो चुकी है. जबकि 500 से अधिक अभियंता अभी भी पॉजिटिव बताये जा रहे है.

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जानकारी मिली है कि पथ निर्माण विभाग में 3, ग्रामीण कार्य विभाग में 1, भवन निर्माण विभाग में 2, जल संसाधन में 4, लघु जल संसाधन में 1, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण में 1 और 10 अन्य कनीय अभियंताओं की मौत हुई है. जबकि इनके अलावा 500 से अधिक इंजीनियर संक्रमित बताये जा रहे हैं. 

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नीतीश सरकार के फैसले पर बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ ने नाराजगी जताई है. सूबे में लॉकडाउन किये जाने के बावजूद भी अभियंत्रण विभागों में निर्माण कार्य जारी रखने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की गई है.

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संघ ने इसे अभियंता की लाश पर बिहार का विकास करने वाला कदम बताया है. संघ के महासचिव डॉ सुनील कुमार चौधरी ने कहा कि अभी तक 22 सेवारत इंजीनियरों का निधन हो गया है. जबकि 500 से अधिक संक्रमित है, जो कोरोना से जंग लड़ रहे हैं.

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कार्यालय बन्द कर निर्माण कार्य को जारी रखना लॉकडाउन का मजाक है. राजस्व के नुकसान की दिशा में किया जा रहा  एक प्रयोग है.

जाँच के नाम पर अभियंताओ के प्रताड़ना की साजिश है और कोरोना के हवन मे अभियंता एवं आम आदमी की आहुति देने का एक अवैज्ञानिक प्रयोग है. बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ आपदा को छोड़कर बाकी सभी निर्माण कार्य पर अविलंब रोक लगाने की मांग करता है. 

महासचिव डा चौधरी ने  कोरोना से संबंधित जाँच रिपोर्ट 24 घंटे में उपलब्ध कराने की भी मांग की ताकि अभियंताओ की जान समय रहते बचाया जा सके और संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.

उन्होंने सभी अभियंताओ को कोरोना वारियर्स मानते हुए वैक्सिनेसन कराने और कोविड अस्पताल मे बेड चिन्हित कर बेहतर इलाज सुनिश्चित कराने की मांग की. ताकि अभियंता स्वस्थ होकर बिहार के विकास मे अतुलनीय भूमिका निभा सके. 

संघ ने सभी जिलों मे अवस्थित अभियन्त्रण विभागों के निरीक्षण भवन को डेडिकेटेड कोविड केयर सेन्टर बनाने,अभियंताओ को डाक्टर के पुर्जे के माध्यम से संघ की अनुशंसा पर ऑक्सीजन और दवा उपलब्ध कराने की भी मांग की है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...