कोरोना के इस भयावह संकट के दौर में लोग एक दूसरे की मदद को उठ खड़े हुए हैं। वायरस कहर बरपा रहा है तो लोग भी मिलजुल कर इससे मुकाबला कर रहे हैं। हर रोज कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही है। श्मशान और कब्रिस्तान में लगातार अर्थियां-जनाजे पहुंच रहे हैं। इस मुसीबत की घड़ी में धर्म-जाति की दीवारें ढह गई हैं और इंसानियत मदद को हाथ बढ़ा रही है।
शहर में लगातार तीसरा मामला सामने आया जब कंकरखेड़ा में अनुज की मौत के बाद मुस्लिम भाई उनके अंतिम संस्कार के लिए आगे आए। अर्थी बनाई। कंधा दिया और श्मशान में ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया।
श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक लाशों के ढेर लगे हुए हैं। कोरोना संक्रमितों की रही मौत के बाद कुछ परिवार ऐसे हैं जहां सगे संबंधियों ने संकट की इस घड़ी में साथ छोड़ दिया। लोग अपनों के शवों को कंधा देने में घबरा रहे हैं। ऐसे में जाति-धर्म की दीवारों को तोड़कर मुस्लिम भाई लगातार मदद को आगे आकर मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं।
कंकरखेड़ा में सोमवार शाम करीब सात बजे अनुज की मृत्यु हो गई। मंगलवार सुबह तक कोई रिश्तेदार नहीं पहुंचा। इसका पता लगने पर पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम युवकों ने अनुज की अर्थी तैयार कराई।
अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया और अंतिम संस्कार कराया। अर्थी को कंधा देने और अंतिम संस्कार कराने में मोहम्मद अरशद, शाहरुख एडवोकेट, इमरान, फिरोज, आरिफ आदि शामिल रहे।