बिहार में एक हजार मेगावाट की पनबिजली परियोजनाओं की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। इसमें दुर्गावती जलाशय से लेकर अन्य स्थलों पर अध्ययन किया जाएगा। पनबिजली की संभावनाओं की तलाश केंद्र सरकार की ओर से अक्षय ऊर्जा के लिए नामित एजेंसी एसजेवीएन करेगी।
दरअसल, ऊर्जा मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में अक्षय ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों जिसमें पम्प स्टोरेज प्लांट परियोजनाएं शामिल हैं, उनके लिए केंद्रीय उपक्रमों को नामित किया है। बिहार में पीएसपी की संभावनाएं तलाशने के लिए एसजेवीएन को नामित किया गया है।
एसजेवीएन को बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कम्पनी ने सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी है। गौरतलब है कि पूर्व में बिहार में पीएसपी के लिए कैमूर जिला में शिवाफदार, हथियादह एवं दुर्गावती सहित कई स्थलों को चिह्नित किया गया था। इसी क्रम में एसजेवीएन को कैमूर सहित बिहार के अन्य जगहों पर पम्प स्टोरिज स्कीम के लिए सर्वेक्षण कर इवैल्यूएशन रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।
वहीं केंद्र सरकार ने अगले 2 से 3 वर्ष के लिए थर्मल पावर प्लांट के तकनीकी न्यूनतम लिमिट को 55 फीसदी से घटा कर 40 फीसदी कर दिया है। इससे बिहार को विद्युत खरीद में राहत मिलेगी। साथ ही पर्यावरण पर इसका सकारात्मक प्रभाव भी होगा। टेक्निकल मिनिमम अप न्यूनतम लोड है जिस पर पावर प्लांट प्रचलित मापदंडों में बिना किसी बदलाव के विद्युत उत्पादन कर सकती है।
अभी बिहार में करीब 71 फीसदी उत्पादन थर्मल पावर प्लांट द्वारा करता है, जिसकी वजह से नवीकरणीय ऊर्जा श्रोतों द्वारा उत्पादन नहीं कर पाता है। बिहार पिछले दिनों से ही इस मुद्दे को उठा रहा था। इस फैसले से राज्य को महंगी बिजली को सस्ती नवीकरणीय बिजली से बदली जा सकती है। इस फैसले से रिन्यूएबल ऊर्जा के उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा 500 गीगावाट के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।