देश में सभी लोग तेल का उपयोग करते है | और पिछले कुछ दिनों से मार्केट में सरसों की तेल का दाम दिन पर दिन बढ़ते जा रहा था | लेकिन इसी बीच आम लोगों के लिए राहत भरा खबर है | दरअसल विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों कीमतों में तेजी के बावजूद इंडोनेशिया द्वारा निर्यात खोलने के कारण देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया द्वारा निर्यात खोले जाने के बाद विदेशों में सूरजमुखी को छोड़कर सोयाबीन, पामोलीन तेलों के दाम में लगभग 100 डॉलर की कमी हुई है. ऊंचे दाम पर देश में आयात घटा है और स्थानीय मांग की पूर्ति देशी तेल (सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला और सरसों) से की जा रही है. इसमें सबसे अधिक दबाव सरसों पर है जो आयातित तेलों से कहीं सस्ता बैठता है |
सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतों में 40-40 रुपये की कमी : खास बात यह है की पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 100 रुपये टूटकर 7,515-7,565 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल 250 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,050 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ. वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 40-40 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,365-2,445 रुपये और 2,405-2,515 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं.