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दोस्तों आधा अप्रैल बीत चूका है गर्मी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है | बिहार के लोगों को पानी की च्निता सता रही है | जी हाँ दोस्तों बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट नल-जल योजना फ़ैल होते दिख रहा है | वहीँ बिहार के कई ऐसे जगह है जहाँ पानी की समस्या प्रमुख नज़र आ रही है | लोगों का कहना है कि नल जल कनेक्शन मिलने से कोई फायदा नहीं है जब तोती में से पानी गिरता ही नहीं है | अब ऐसे में बिहार के कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड के नंद गांव पंचायत का महुला भी पीने के पानी की समस्या से जूझ रहा है |

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दरअसल नितीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट नल-जल योजना पुरे बिहार में चलाया गया था | ये बहुत जगह चल भी रहा है लेकिन बहुत जगह यह भ्रस्ताचार के शिकार भी हो गया है | दरअसल कैमूर के चैन पुर प्रखंड में भी करीब दो साल पहले इस योजना के तहत सभी लोगों को पानी देने के लिए नल लगाया गया था | 25 लाख रूपये की लागत से और कुल 100 परिवार को इसका कनेक्शन दिया गया था | लेकिन पानी मात्र 50 परिवार को ही नसीव हुआ | और बाकी के 50 घर में नल-जल योजना का पानी नहीं पंहुच पाया |

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जानकारी के मुताबिक जिस कंपनी को नल जल का टेंडर दिया गया था, उस कंपनी ने 11 योजनाओं पर काम करने के लिए टेंडर लिया था. जिसकी कीमत 3 करोड़ रुपयों की थी. इतने पैसे खर्च करने के बाद भी कंपनी ने ठीक तरह से काम नहीं किया और पीएचडी विभाग के द्वार 25 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी महुला गांव के लोगों को नल जल का कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण गांव के लोग चापाकल पर आज भी आश्रित हैं.

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ग्रामीणों की जानकारी के मुताबिक 200 घरों में से 100 को कनेक्शन दिये गये थे, जिसमें से महज 50 घर के लोगों को ही नल जल का लाभ मिल पाया है. जिसके बाद बचे हुए 100 घरों को अभी तक कनेक्शन नहीं मिल पाया है. जिसके कारण गांव में लगे चापाकल से ही ग्रामीण अपना काम चला रहे हैं.  गर्मी बढ़ने के साथ चापाकल से भी पानी मिलना बंद हो जायेगा. 

इसको लेकर महुला गांव के कांट्रेक्टर कार्यपालक पदाधिकारी इंजीनीयर अमित कुमार ने कहा कि पीएचईडी विभाग की तरफ से 11 योजनाओं का काम दिया गया था. जिसकी लागत तीन करोड़ रुपये थी. सही तरह से काम न होने के कारण इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है.

साभार : ZEE MEDIA

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...