आज पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुदुचेरी के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है पश्चिम बंगाल का चुनाव। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर जीतने के लिए सारे दांव आजमा लिए।
वैसे तो भाजपा की नजरें पश्चिम बंगाल पर पिछले 5 साल से थी मगर पिछले 6 महीने से भाजपा के सभी बड़े नेता और भाजपा समर्थित गोदी मीडिया पश्चिम बंगाल में डेरा जमाए हुए थे।
कोरोना महामारी के खतरे के बावजूद चुनाव करवाना हो या फिर बड़ी बड़ी रैलियां करके चुनाव प्रचार करना, भाजपा ने लगभग वह सभी दांव आजमा लिए, जिससे उसे सत्ता मिल सके।
मगर अब जो चुनावी नतीजे आ रहे हैं उससे स्थिति बिल्कुल साफ लग रही है कि जैसे 2016 में ममता बनर्जी को एक बड़ा बहुमत मिला था उसी तरह से इस बार भी बहुमत मिल रहा है।
मतगणना के 5 घंटे बाद तक जो स्थिति स्पष्ट हुई है तृणमूल कांग्रेस 202 सीटों पर आगे चल रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी मात्र 88 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
एक दिलचस्प बात ये है कि पश्चिम बंगाल में 35 साल तक शासन करने वाले लेफ्ट और उसके बाद सबसे ज्यादा शासन करने वाली और सबसे ज्यादा वक्त विपक्ष में रहने वाली कॉन्ग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया है।
1-2 सीटों को छोड़कर लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन कहीं पर टक्कर देती हुई दिखाई नहीं दे रही है।
इसे तृणमूल और भाजपा दोनों के लिए जीत के रूप में देखा जा सकता है कि ममता बनर्जी की सत्ता भी बनी रही और विपक्ष के रूप में भाजपा स्थापित हो गई।
तो पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों को तृणमूल या भाजपा की हार से कहीं ज्यादा प्रमुख विपक्षी दल रहे लेफ्ट और कांग्रेस के हार के रूप में देखा जाना चाहिए।
अभी जो नतीजे आ रहे हैं उससे कहीं न कहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बात सही साबित हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी 3 अंकों में नहीं पहुंच सकेगी यानी 100 का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाएगी।
Input :- bolta hindustan