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हापुड़ स्टैंड के समीप रहने वाली सुषमा अग्रवाल की कुछ दिनों से तबीयत ठीक नहीं थी और एक दिन उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पत्नी की मौत की खबर सुनकर पति वाराणसी से मेरठ पहुंच गए. उन्होंने बाकी रिश्तेदारों की राह देखी लेकिन कोई नहीं आया.

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उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) में एक महिला के निधन के बाद जब उसके अपने कंधा तक देने नहीं पहुंचे तो मुस्लिम भाईयों ने अर्थी को कंधा देकर मिसाल पेश की. मुस्लिम भाईयों ने इस महिला की अर्थी को कंधा देकर सूरजकुंड श्मशान घाट तक पहुंचाया.

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जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया. ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है. वीडियो में मुस्लिम भाई अर्थी को कांधा देते हुए नज़र आ रहे हैं. इस दौरान राम नाम सत्य है, का उदघोष भी सुनाई दे रहा है.

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बताया जाता है कि मेरठ में महिला की मौत के बाद उसके पति ने कई घंटों तक परिवार के लोगों का इंतजार किया कि शायद कोई आए और उसकी पत्नी की अर्थी को कंधा दे. लेकिन कोई नहीं आया. जब उनकी उम्मीद टूटने लगी तो कुछ मुस्लिम युवकों ने महिला के शव को कंधा दिया और हिंदू रिवाज से अंतिम संस्कार भी कराया.

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कोरोना ने लोगों के मन में ऐसा खौफ बैठा दिया है कि परिवार का कोई सदस्य इस महिला की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुआ. ऐसे कठिन समय में मुस्लिम युवकों इस परिवार के साथ फौलाद बनकर खड़े नज़र आए.

पति रिश्तेदारों की करता रहा इंतजार, मगर…

हापुड़ स्टैंड के समीप रहने वाली सुषमा अग्रवाल नाम की महिला की कुछ दिनों से तबीयत ठीक नहीं थी और एक दिन उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पत्नी की मौत की खबर सुनकर पति वाराणसी से मेरठ पहुंच गए.

उन्होंने बाकी रिश्तेदारों की राह देखी लेकिन कोई नहीं आया.  तब तहसीन अंसारी अपने कुछ साथियों के साथ वहां पहुंचे. अर्थी को कंधा देकर पैदल सूरजकुंड श्मशान घाट तक ले गए. उन्होनें हिंदू रिवाज से ही शवयात्रा निकाली.

मेरठ से ही नहीं पूरे देश से कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. जब इंसान हर धर्म और जाति को देखे बिना मदद के लिए आगे आते हैं. इंसानियत के ये दो पहलू कोरोना काल ने हर किसी को दिखा दिए हैं. दवाई, खाना और अन्य किसी मदद के लिए भी हर कोई एक दूसरे की मदद करने की कोशिश कर रहा है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...