हमारा देश कृषि प्रधान देश है इसका मतलब सीधा जानिये कृषि प्रधान का मतलब हुआ भारत में कृषि अधिक होती है हमारे देश में आधे से अधिक लोग खेती पर आश्रित है | बिहार के पूर्वी क्षेत्र में आधे से अधिक लोग खेती पर आश्रित है एक तरह से कहा जाए तो उधर के लोग खेती के बिना अपना जीवन जी नहीं सकते और खेती में सबसे अधिक आलू की खेती की जाती है | लेकिन बता दे की अभी तक हमलोग जानते है की आलू की खेती सिर्फ जमीन पर ही किया जाता है लेकिन आपको बता दे की आलू की खेती अब धरती के उपर आमान में भी किया जा सकता है |

आपलोग को ये बात थोडा अजीब लगा होगा किन्तु ये सच है | इस पर वैज्ञानिक लोग काम कर रहे है | बता दे की आलू के तकनीक का अध्ययन कर लौटी अगवानपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों ने इसके लिए तैयारी प्रारंभ कर दी है। इसमें मिट्टी की कोई जरूरत नहीं होती ये खेती एरोपेनिक तरीके से हवा में की जाती है बता दे की इसमें जो उत्पादन होता है वो इसके अपेक्षा 20 गुना ज्यदा होता है |
90 दिनों तक आप पेड़ से तोड़ सकते है आलू :
जानकारी मके मुताबिक बता दे की इसकी खेती करने के लिए मिट्टी की कोई जरूरत नहीं पड़ती है | और इसमें से लोग लगभग तीन महीने यानि की 90 दिनों तक आलू को तोड़ सकते है | इस तकनीक का ईजाद हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा की गई है। इस तकनीक थर्माेकाल प्लास्टिक आदि के सहयोग से आलू की हवा में खेती की जाएगी। इसमें आपको जो फसल पैदावार होगा वो इसके तुलना में 20 गुना अधिक होगा | और इस खेती की सबसे खास बात यह है की आप 3 महीने तक तोड़ सकते है |

सरकार ने भी दिया खेती करने के लिए आदेश
बता दे की सरकार ने भी इस खेती पर रोक नहीं लगाई है बल्कि इसको बढावा दिया है | वहीँ इस एरोपेनिक तकनीक को तैयार करनेवाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक में लटकती हुई जड़ों द्वारा पौधे को पोषण दिया जाता है। जिसमे धरती और मिट्टी की कोई जरूरत नहीं पड़ती है |

किसानो की बढ़ेगी आमदनी
वर्तमान में हो रहे खेती की तुलना में यह खेती बहुत फायदेमंद हो सकता है | इससे हरियाणा की तरह बिहार के स्थानीय किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी, और इलाके की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। – पंकज कुमार राय, कृषि विज्ञानी, कृषि अनुसंधान केंद्र अगवानपुर, सहरसा।
