आज हम आपको इस खबर में बतायेंगे दुनिया के सबसे बड़े परिवार के बारे में जो की भारत के मिजोरम में रहते है | इस परिवार में कुल 181 लोग हैं. इसके मुखिया है जिओना चाना. ये तो सबको पता है कि जितना बड़ा परिवार उतने ज्यादा खर्चे. अब खुद ही सोचिये 181 लोगों के परिवार को चलाने के लिए कितने पैसे चाहिए होंगे? जिओना चाना के परिवार के खर्चे काफी ज्यादा हैं. जहां चाना की 39 बीवियां हैं, वहीं उनके 94 बच्चे भी है |
बात अगर इनके खर्चे की करें, तो सिर्फ खाना-पीना ही इनके लिए काफी महंगा है. वैसे तो चाना के कई बेटे काम करते हैं, लेकिन इस विपदा की घड़ी में परिवार के लिए पैसों का जुगाड़ करना काफी मुश्किल हो रहा है. ऐसी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कैसे इस परिवार का गुजारा चल रहा है.
बता दें कि जिओना चाना 1942 में शुरू हुए ईसाई ग्रुप चाना के मुखिया हैं. इसमें कई शादियां करने की इजाजत होती है. अभी तक इसमें कुल 400 परिवार रजिस्टर हैं और ऐसा माना जाता है कि जल्द ही ये ग्रुप दुनिया में सबसे बड़ा समाज बन जाएगा. इनका मुख्य उद्देश्य बच्चे पैदा कर अपने समाज की संख्या बढ़ाना है |भारत के मिजोरम में रहने वाले जिओना चाना के परिवार को दुनिया में सबसे बड़े परिवार के तौर पर जाना जाता है. इस परिवार में कुल 181 लोग रहते हैं. जिसका मुखिया चाना है, जिसकी 39 बीवियां हैं. इन बीवियों से उसके कुल 94 बच्चे हैं |
चाना अपने इस परिवार के साथ मिजोरम के बटवंग गांव में 100 कमरे वाले एक घर में रहता है. इसमें इसकी 14 बहुएं हैं जिनसे उसके 33 पोते-पोतियां शामिल हैं. 181 लोगों के इस परिवार में महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में ही बीतता है.
बात अगर इनके खर्चे की करें, तो इनका सबसे ज्यादा पैसा इनके खान-पान में खर्च होता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ये परिवार एक दिन में 100 किलो दाल और चावल खा जाता है. ये सिर्फ इनके लंच और डिनर का ब्योरा है. नाश्ते में ये हर दिन कुछ अलग खाते हैं.
साथ ही ये परिवार एक बार में 40 किलो चिकन खा जाता है. चूंकि नॉन-वेज बनाने में ज्यादा समय लगता है, ऐसे में ये परिवार वेज खाना ही प्रेफर करता है. वेज में भी ये सब्जियां अपने घर के आंगन में उगाते हैं. ताकि बाजार से सब्जी खरीदने का खर्च बच जाए.
घर के आंगन में ये परिवार पालक, पत्तागोभी, सरसो, मिर्ची और ब्रोकली उगाता है. होम गार्डन की वजह से परिवार का काफी पैसा बचता है. इन सब्जियों को उगाने में परिवार की महिलाएं लगती है, जो नेचुरल खाद का इस्तेमाल करते हैं.
परिवार के मर्द खेती और जानवरों का पालन करते हैं. इनसे मिलने वाले पैसों से ये परिवार चलता है. लेकिन लॉकडाउन में उनके सामने सर्वाईवल की समस्या आने लगी. पहले के समय में परिवार के मर्द सब्जी और पोल्ट्री के जरिये कमाई करते थे लेकिन लॉकडाउन में ये ऑप्शन खत्म हो गया है |