ऐसा कहा जाता है कीं अगर इंसान ठान ले तो वो दुनिया में कुछ भी कर गुजर सकता है | असंभव की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे स फलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | जितने भी लोग आज UPSC IAS या किसी Class 1 Officer Rank Examination की तैयारी कर रहे हैं | आज की यह कहानी उनको जरूर प्रेरणा देगी। भगवान ने जिसे जैसा बनाया है हमें कभी भी उस स्थिति पर अफसोस नहीं करना चाहिए। चाहे वह दिव्यांग या विकलांग ही क्यों ना हो।
वो कहते है न :
मंजिल इंसान के हौसले आज़माती है, सपनों के पर्दे आँखों से हटाती है,
किसी भी बात से हिम्मत ना हारना; ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है।
यह कहानी IAS इरा सिंघल की है, जो एक दिव्यांग महिला है। इरा सिंघल उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ शहर की रहने वाली है। आईएएस इरा सिंघल ने यूपीएससी एक्जाम 2014 में टॉप किया था । यूँ तो इरा सिंघल ने कुल चार बार UPSC का एग्जाम दिया था और सिलेक्शन भी सभी हो गया था लेकिन 2014 वाला UPSC परीक्षा में इरा ने सबसे ज्यादा अंक लाकर टॉप किया ।
IAS इरा सिंघल का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ शहर में जन्माष्टमी के दिन हुआ था। इरा सिंगल की माँ अनीता सिंघल बताती हैं, जन्म के वक्त इरा बिल्कुल नॉर्मल थी। मतलब जब इरा का जन्म हुआ था , तब वह एक नॉर्मल बच्चे की तरह दिखती थी, कोई भी विकलांगता के संकेत ना थे।
लेकिन जैसे-जैसे इरा बड़ी होने लगी, शारीरिक ग्रोथ होने लगा, वैसे-वैसे इरा सिंघल के शरीर में विकलांगता के लक्षण दिखने लगे। आईएएस इरा सिंघल के माता-पिता ने डॉक्टर से कंसल्ट किया , फिर डॉक्टर ने चेकअप के बाद बताया कि इरा को Scoliosis नाम की बीमारी है | ऑपरेशन करना पड़ेगा। लेकिन साथ में डॉक्टरों ने आगाह भी किया कि यह ऑपरेशन काफी रिस्की भी हो सकता है।
इरा सिंघल सिलियोसिस बीमारी की शिकार थी। यह बीमारी रीड के हड्डी में होती है। साधारण मनुष्य की रीड की हड्डी सीधी होती है, लेकिन जिनको सीलियोसीस नाम की बीमारी होती है, उनकी रीड की हड्डी ‘S’ आकार की होती है। शरीर की यह एक गंभीर बीमारी होती है , और जिनको यह बीमारी होती है उनकी शरीर कई रूपों में विकलांग हो जाती है।
भला कौन सा मां-बाप अपने बच्चे को रिस्क में डालेंगे , तो इसीलिए इरा के माता-पिता ने ऑपरेशन ना कराने का फैसला किया, और सोचा कि भगवान ने जैसा दिया है हम वैसा ही स्वीकार करते हैं। यह मेरी बेटी एक दिन मानव कल्याण की दिशा में जरुर ख्याति प्राप्त करेगी | और बिलकुल ऐसा ही हुआ | इरा ने सिविल सेवा के सर्वोच्च परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया |
आईएएस इरा सिंघल के पिता राजेंद्र सिंघल बताते हैं की शुरुआत में जब इरा का एडमिशन प्राइमरी स्कूल में होना था , तब इरा के पिता राजेंद्र सिंघल को काफी परेशानी झेलनी पड़ी थी। कोई भी प्राइमरी स्कूल वाला इरा सिंघल का एडमिशन करने को तैयार ना था | काफी कड़ी मेहनत करने के बाद इरा के पिता राजीव सिंघल ने इरा का एडमिशन प्राइमरी स्कूल में करवाया था ।
इरा की स्कूलइंग दिल्ली के लॉरिअट स्कूल से हुई है। यह स्कूल दिल्ली का एक जाना माना स्कूल है। लॉरिअट स्कूल में भी काफी मेहनत के बाद ही एडमिशन हो पाया था, क्योंकि कई बार तो इरा का एडमिशन फॉर्म ही रिजेक्ट कर दिया गया था। फिर काफी कहने के बाद एडमिशन के प्रकिर्या शुरू हुई |
पिता राजेंद्र सिंघल पेशे से एक बिजनेसमैन है। राजेंद्र सिंघल बताते हैं कि इरा बचपन से ही काफी मेधावी छात्रा रही हैं । मतलब इरा जिस चीज को एक बार पढ़ लेती है, जिस भी विषय को एक बार मन से पढ़ाई कर लेती है, वह उसे याद हो जाता है, एकदम कार्बन कॉपी के तरह। इरा की एकाग्रता काफी मजबूत है |
12th पास करने के बाद इरा ने Netaji Subhas University of Technology Delhi (NSIT Delhi) से इंजीनियरिंग किया। इंजीनियरिंग इन्होंने कंप्यूटर साइंस से किया था। फिर बाद में इरा ने एमबीए में एडमिशन ले कर एमबीए कंप्लीट किया। एमबीए करने के बाद इरा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी। प्राइवेट नौकरी होने के कारण इरा एक कॉरपोरेट लाइक जीती थी।
फिर एक दिन इरा के माता-पिता ने इरा को यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने का सलाह दिया। सोचने समझने के बाद इरा 2010 में यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग ज्वाइन कर ली। और यूपीएससी की तैयारी में लग गई। पहले तो कोचिंग में काफी पढ़ाई करनी पड़ती थी, उसके बाद घर में भी पढ़ना पड़ता था। काफी कड़ी मेहनत के बाद यूपीएससी एक्जाम 2010 में सिलेक्शन हो गया। लेकिन शारीरिक क्षमताओं के कारण उनको नौकरी नहीं मिल पाई।
फिर भी इरा ने हार नहीं मानी और यूपीएससी की प्रिपरेशन जारी रखा। यूपीएससी एक्जाम 2011 और 2013 में भी इरा का सिलेक्शन हुआ लेकिन मेडिकली फिट ना होने के कारण फिर से उनको नौकरी नहीं मिली। इरा काफी निराश हुई और उन्होंने मन बना लिया कि अब और नहीं एग्जाम देगी, उन्होंने सोच लिया कि अब यूपीएससी का एग्जाम नहीं दूंगी।