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गोरखपुर में पिता की मौत के बाद शिक्षक बेटे ने भी दम तोड़ दिया। शव अस्पताल से घर पहुंचा तो कोरोना के खौफ में पड़ोसियों ने दरवाजे बंद कर लिए। किसी ने झांका तक नहीं। शिक्षक के भाई और भतीजे भी संक्रमित हैं। एक भाई की हालत गंभीर है। कांधा देने वाले चार लोग भी नहीं मिले।

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अंतिम संस्कार का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में पृथकवास में रहने वाले दूसरे मोहल्ले के एक व्यक्ति को जानकारी हुई। उसने फोन कर प्रशासन को सूचना दी तब करीब छह घंटे बाद शव वाहन पहुंचा। पिता को मुखाग्नि देने वाले संक्रमित भाई ने राप्ती तट पर शिक्षक का भी अंतिम संस्कार किया। लेकिन कोई उसे कंधा देने तक नहीं आए और पड़ोसी तक भी अपने-अपने दरवाजा लगा लिए करीब 6 घंटे तक घर पर पड़ी रही लाश

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इंसानियत को झकझोर देने वाली यह घटना गोरखपुर शहर के रामजानकी नगर की है। 12 अप्रैल को कॉलोनी में रहने वाले रिटायर बिजली कर्मचारी के घर मौत ने दस्तक दी। रिटायर बिजलीकर्मी चल बसे। परिवार के मुताबिक उनकी रिपोर्ट निगेटिव थी लेकिन लक्षण कोरोना वाले ही थे।

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ऐसे में शिक्षक बेटे ने अपनी और दोनों भाइयों व बच्चों की 11 अप्रैल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जांच कराई जिनकी रिपोर्ट पिता की मौत के एक दिन बाद पॉजिटिव आई थी। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद परिवार होम आइसोलेशन में था।

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पिता की मौत के बाद पंडित से लेकर नाऊ तक सभी व्यवस्था में शिक्षक लगे हुए थे। घर के अंदर और बाहर का काम उन्हीं के जिम्मे था। शिक्षक के परिवार में तीन महिलाएं यानी तीनों भाइयों की पत्नियां और पांच बच्चों सहित 10 सदस्य हैं।

शिक्षक के दो बच्चे हैं बड़ा बेटा करीब दस साल का है। वहीं शिक्षक के बड़े भाई अधिवक्ता हैं तो छोटे भाई एक सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं।

पिता की मौत के बाद पंडित से लेकर नाऊ तक सभी व्यवस्था में शिक्षक लगे हुए थे। घर के अंदर और बाहर का काम उन्हीं के जिम्मे था। शिक्षक के परिवार में तीन महिलाएं यानी तीनों भाइयों की पत्नियां और पांच बच्चों सहित 10 सदस्य हैं। शिक्षक के दो बच्चे हैं बड़ा बेटा करीब दस साल का है।

वहीं शिक्षक के बड़े भाई अधिवक्ता हैं तो छोटे भाई एक सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं। बड़े भाई को एक बेटा है, वहीं बच्चों में सबसे बड़ा है। छोटे भाई के भी दो बच्चे हैं उनकी उम्र भी दस साल के नीचे ही है। घर में चार दिन में हुई दो मौत के बाद परिवार के लोग सहमे हैं।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में संक्रमितों की मौत पर नगर निगम को सूचना दी जाती है। उस सूचना पर अन्तिम संस्कार की व्यवस्था राप्ती तट पर की जाती है। संक्रमितों के अन्तिम संस्कार के लिए पांच कर्मचारियों की तैनाती की गई है।

तीन दिन में 15 संक्रमितों का अन्तिम संस्कार किया गया है। घर पर किसी संक्रमित की मौत की जानकारी होने पर ही मदद मिलती है।
-सुरेश चंद्र, चीफ इंजीनियर नगर निगम

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...