युवा इंजीनियरिंग ग्रेजुएट (engeener graduate )जैस्पर पॉल (Jaspar Paul) ने अपने साथ हुए एक हादसे के बाद जिंदगी जीने के दोबारा मिले मौके से प्रेरित होकर असहाय व बेघर बुज़ुर्गों और बेसहारा लोगों के लिए स्वंय को समर्पित करते हुए उनके लिए एक सारथी की भूमिका निभा रहे हैं।

आज के समय में अधिकांश लोग जब अपने वृद्ध माता-पिता को खुद पर आर्थिक अथवा शारीरिक रुप से बोझ समझते हुए या तो उन्हें वृद्धाश्रम या फिर धोखे से कहीं छोड़ आते हैं। ऐसे में जैस्पर ने अपने साथ हुए हादसे और ईश्वर द्वारा ज़िदगी जीने के दोबारा मिले मौके से

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हैदराबाद निवासी व इंजीनियरिंग ग्रेजुएट 25 वर्षीय जैस्पर पॉल साल 2014 में खुद एक भंयकर हादसे का शिकार हो चुके हैं जिसमें एक दुर्घटना के चलते उनकी कार ने सड़क पर तीन बार पलटी खाई। तब वे केवल 19 साल के ही थे।

अपने मकसद को साकार करने के लिए व बेघर और बेसहारा लोगों की सहायता के लिए पॉल तीन सालों तक शहर के अन्य शेल्टर होम्स् और सामाजिक संगठनों के साथ काम करते रहे। इस दरम्यान उन्हे ये महसूस हुआ कि शायद उनके काम में कहीं कोई कमी है।

क्योंकि उनके साथ पूर्व में घटित हुए हादसे ने उन्हे भी जिंदगी जीने का सेकेंड चांस दिया था। जिसके बाद वो पूरी तरह दृढ़ संकल्पित थे कि अब लाइफ में उन्हे समाज सेवा की दिशा में ही कुछ करना है। ऐसे में उन्होंने ज़रुरतमंदों के लिए बनाये गए इस शेल्टर होम को भी नाम देना ही बेहतर समझा।

हांलाकि आरंभ में पॉल पूरी तरह से किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति में थे कि उन्होंने समाजसेवा का मन तो बना लिया है लेकिन वह कैसे लोगों की मदद करें, इस काम के लिए फंड कहां से आएगा आदि।

महिला के ठीक होने के बाद उन्हे एक शेल्टर होम में भर्ती करवाया और उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। जिसका रिज़ल्ट ये रहा कि महिला के परिवार वाले हैदराबाद आकर उन्हे ले गये।

अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे तभी किसी वृद्धाश्रम या आश्रय-घरों की जरूरत नहीं होगी। लेकिन तब तक हम इन लोगों को भी अनदेखा नहीं कर सकते हैं। इसलिए जब तक हो सकेगा मैं इन लोगों की देखभाल करने के लिए तैयार हूं

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...