AddText 03 28 03.14.04

दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको सुनकर आपका दिल दहल जाएगा, जब हम सालों बाद किसी अपने से मिलते हैं, तो हमारी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है और खासतौर पर जब कोई ऐसा व्यक्ति जो हमारे बहुत करीब हो, उससे मिलकर तो जो ख़ुशी मिलती है, उसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता है। ऐसी ही एक घटना हुई हरदोई के सांडी विकास खंड के एक गाँव फिरोजापुर में। यहाँ एक परिवार में 14 वर्षों पूर्व खोया हुआ बेटा वापस आया तो सारा परिवार प्रफुल्लित हो उठा और उस परिवार में मानो किसी त्यौहार जैसा माहौल दिखाई दे रहा था।

Also read: IAS Success Story: Akash Bansal Passed Civil Services Exam Thrice, Determined to Become an IAS Officer in All Three Attempts

फिर एक दिन गत शनिवार की रात को अचानक ही रिंकू अपने गाँव में वापस आया लेकिन इस बार उसका नाम और सब बदल चुका था,परन्तु उसकी माँ ने उसे देखते ही पहचान लिया और बेटे रिंकू को गले से लगाकर बहुत देर रोती रहीं। रिंकू ने ना सिर्फ़ अपना नाम बदला था बल्कि, परिवार से दूर रहकर अपनी एक पहचान भी बना ली थी। अगर 14 सालों से पंजाब में रहा करता था, वहीं रहते हुए उसने कुछ ट्रक भी खरीद लिए थे।

Also read: Manish Achieves IAS Dream in Second Attempt While Juggling a Full-Time Job and UPSC Preparation.

एक बार उसका एक ट्रक धनबाद में दुर्घटना ग्रस्त हो गया था, इसलिए वह अपनी लग्जरी कार में बैठकर धनबाद जा रहा था, तभी मार्ग में हरदोई गाँव आया तो उसे पहले का सब याद आ गया। यद्यपि जब वह गया तब काफ़ी छोटा था,घरवालों ने कहा अब हमें छोड़ कर कहीं मत जाना

Also read: Despite Poor Engineering Grades and Doubts About UPSC, Himanshu Becomes IAS Officer in First Attempt Through Hard Work

इस वज़ह से उसे इतने सालों बाद अपने पिता का नाम तो याद नहीं रहा था, परन्तु अपने गाँव में रहने वाले एक व्यक्ति सूरत यादव का नाम उसे याद रह गया था। जब वह अपने गाँव पहुँच जाए तो सीधा सूरत यादव के पास ही गया। सूरत यादव ने भी उसे जल्दी ही पहचान लिया और उसे उसके परिवार के पास ले गया।

Also read: IAS Success Story: Faced Failure Four Times, But Rushikesh Reddy Became an IAS Officer in the Fifth Attempt Without Coaching

रिंकू की आयु अभी 26 साल है। उसके वापस आने पर सारा परिवार बहुत प्रसन्न है और यह होली का उत्सव उनके लिए सबसे ज़्यादा खुशनुमा त्यौहार बन गया है। रिंकू की माँ सीता अपने बेटे को इतने सालों बाद देख कर ख़ुशी से ओतप्रोत हैं और उससे कहती है कि तुम चाहे जो भी काम करते हो, परंतु जिस तरह से तुम पहले चले गए थे वैसे फिर कभी मत जाना।

गुरप्रीत भी बहुत सालों बाद अपने घर आया था इसलिए, भावुक हो गया और अपने काम की फिकर छोड़कर वहीं रुक गया था। यद्यपि काम की वज़ह से बाद में देर रात ही उन्हें जाना पड़ा था। गुरुप्रीत अपने परिवारजनों से मिलकर बहुत ख़ुशी का अनुभव कर रहा है। वह चाहता है कि अब वह अपने माता पिता के साथ ही रहे।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...