यहां वही सफलता पाता है जिसके सपने भी बड़े होते हैं और मेहनत भी। ऐसा कहा जाता है कीं अगर इंसान ठान ले तो वो दुनिया में कुछ भी कर गुजर सकता है | असंभव की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे स फलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | जी हाँ दोस्तों ! हम बात कर रहे बिहार की राजधानी पटना की एक महिला मूर्तिकार के बारे में आईये जानते है थोड़ी विस्तार से…
बिहार की राजधानी पटना की इस महिला मूर्तिकार की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। बिहार की यह महिला मूर्ति बनाकर 5 बच्चों के परिवार का खर्च चलाती है | तीन बेटियों की शादी कर चुकी है। बिहार के पटना के रहने वाली इस महिला को कहना है की विरासत में मिले कला को आगे बढ़ाते हुए बिहार में तो मिलते ही है लेकिन बिहार से भी अलग दूरदराज के इलाकों से मूर्ति बनाने के आर्डर मिलते हैं।
पटना (बिहार) के फुलवारी शरीफ की सुशीला साल 2003 से ही मूर्ति बनाने का काम करती है। बिहार के राजधानी पटना में रहने वाली इस महिला के ससुर ने साल 1950 से ही मूर्ति निर्माण करते रहे हैं,लेकिन किसी कारणवश उनकी मृत्यु बिहार के राजधानी पटना के ही एक निजी अस्पताल में हो गयी | उसके बाद विरासत को आगे बढ़ाते हुए सुशीला ने मूर्ति बनाना जारी रखा। काफी दूर-दूर से सुशीला को मूर्ति बनाने के ऑर्डर मिलते हैं, सुशीला धीरे धीरे पूरा बिहार मव फेमस हो गयी | मूर्ति बनाने के आय स्रोत से परिवार में पांच बेटियों का खर्च वहन करती है, अब तक तीन बेटियों की शादी कर चुकी है।
बिहार के राजधानी पटना के रहने वाली सुशीला देवी का कहना है कि मां दुर्गा की प्रतिमा के अलावा लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमा का भी निर्माण भी करती हमारे बिहार में तो बहुत बिकते है | इसके अलावा विश्वकर्मा पूजा में भी मूर्ति निर्माण का काम उनके घर में होता है। बिहार के रहने वाली शुशीला आगे बताती है की इस मूर्ति निर्माण से वह 1 वर्ष में एक लाख रुपए के आसपास कमा लेती है। इसी पैसे से सालों भर इनके और बच्चों का भरण-पोषण का काम होता है।