भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने पिछले गुरुवार को उन्होंने बताया की भारत की हर एक जिले में स्नाकोत्तर चिकित्सा शिक्षा के लिए महाविद्यालय या संसथान जरूरी होना चाहिए | केंद्र सरकार इस दिशा में काम कर रही है | उन्होंने आगे कहा की चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ सेवाओ में जो खामिया है | उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है | जयपुर में पेट्रोरसायन प्रोदयोगिकी संसथान का उद्घाटन और बांसवारा , सिरोही ,हनुमान गढ़ और दौसा जिलो में चिकित्सा महाविद्यालयों की विडियो कांफ्रेंसिंग से आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री ने यह बाते कही | उन्होंने कहा, सात से आठ सालो में १७० से अधिक चिकित्सा महाविद्यालय तैयार हुए है | और १०० से ज्यदा पर काम तीव्र गति से कार्य प्रारंभ है |
आपदा में आत्मनिर्भरता सामर्थ्य बढ़ाने का संकल्प :
उन्होंने अपने संबोधन में कोविद-१९ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बताये की हर देश अपने-अपने तरीके से इस कोरोना जैसी बड़ी संकट से निपटने में जुटा है | भारत ने इस आपदा में आत्मनिर्भरता और अपने सामर्थ्य में बढ़ोतरी का संकल्प लिया है | उन्होंने बताया की राजस्थान में चार चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण कार्य की शुरुआत और जयपुर में सिपेट का उद्घाटन इसी दिशा में एक अहम् कदम है |
अस्पतालों का जाल बेहद जरूरी :
प्रधानमंत्री ने चिकित्सा संस्थानों के निर्माण की धीमी गति पर चिंता जताते हुए कहा की देश में एम्स , चिकत्सा महाविद्यालयों या एम्स जैसे सुपर स्पेसिलियती अस्पतालों का नेटवर्क देश के कोने -कोने तक फैलना बहुत जरूरी है| उन्होंने आगे कहा की , आज हम संतोष के साथ कह सकते है की देश २२ से ज्यदा एम्स के ससक्त नेटवर्क की तरफ बढ़ रहा है | लगभग छह से सात सालो में १७० से अधिक चिकित्सा महाविद्यालय तैयार हो चुके है |