ईश्वर सिंह बारगाह (Ishwar Singh Bargah) के साथ, जिनकी कामयाबी के रास्ते में मुश्किलें तो बहुत सारी थी लेकिन उन्होंने सभी मुश्किलों को हंसते हुए पार कर लिया। ईश्वर सिंह की कहानी जानने के बाद आप भी क़िस्मत बजाय कड़ी मेहनत करने पर यक़ीन करेंगे।
छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर के रहने वाले ईश्वर सिंह बारगाह (Ishwar Singh Bargah) आज कल्याण कॉलेज-कॉलेज के प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत हैं, लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब वह इसी कॉलेज में माली का काम किया करते थे। ईश्वर सिंह बचपन से ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत के चलते ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया।
लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था जब वह इसी कॉलेज में माली का काम किया करते थे। ईश्वर सिंह बचपन से ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत के चलते ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। जिसके बाद ईश्वर सिंह ने अपनी कामयाबी का रास्ता ख़ुद तैयार करने का फ़ैसला किया।
जिसके बाद साल 1985 में मात्र 19 साल की उम्र में ईश्वर सिंह नौकरी की तलाश में भिलाई आ गए। उन्हें भिलाई के कपड़ा स्टोर में सेल्समैन की नौकरी मिल गई, जिसके बदले उन्हें 150 रुपए महीना वेतन दिया जाता था।
हालांकि कॉलेज में एडमिशन लेने के लगभग 2 महीने बाद ईश्वर सिंह को कल्याण कॉलेज में ही माली की नौकरी करने का मौका मिला, उस नौकरी को पाने लिए उन्होंने अपने चाचा की मदद ली और काम पर लग गए।
ईश्वर सिंह को कॉलेज में होने वाले सभी तरह के निर्माण कार्यों का सुपरवाइज बना दिया। इस दौरान ईश्वर सिंह ने अपनी बीए की पढ़ाई जारी रखी और साल 1989 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर ली।
इसके साथ ही शिक्षा विभाग के एचओडी पीके श्रीवास्तव और रसायन के एचओडी एचएन दूबे और जेपी मिश्रा जैसे शिक्षकों ने भी ईश्वर सिंह को आगे बढ़ने में काफ़ी मदद की।
लेकिन वह आज जिस कुर्सी पर बैठे हैं और जो काम कर रहे हैं, उसके बारे में सोचकर उनका भी सीना गर्व से चौड़ा हो जाता होगा। यह किसी भी छात्र के लिए गर्व की बात है कि वह जिस कॉलेज में पढ़ता था, उसी कॉलेज में प्रिसिंपल का पद संभाल रहा है। वहीं ईश्वर सिंह ने तो अपने कॉलेज में तरह-तरह की नौकरियाँ करके पढ़ाई की है, ऐसे में उनका संघर्ष तो काबिले तारीफ ही