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सुबह की बस शुरुआत ही हुई थी कि पापा की आवाज़ सारे घर में गूंज रही थी। वो खुशी के मारे पागल हुए जा रहे थे। तभी उन्होंने जोर से प्रिंस को आवाज लगाई। इतनी सुबह पापा की आवाज सुनकर प्रिंस को गुस्सा आ गया और वो फिर चादर ओढ़कर सो गया।

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पापा ने फिर से आवाज लगाई, प्रिंस जोर से चिल्लाकर बोला – “क्या हुआ? क्यों इतना शोर मचा रखा है सुबह-सुबह?” पापा बोले – ” जैसे तुझे पता ही नहीं क्या हुआ, आज तेरी बहन रश्मी आने वाली हैं, और पता हैं न इस बार वह अपना जन्मदिन हमारे ही साथ मनाएगी। जल्दी जा और उसे स्टेशन से ले आ।”

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प्रिंस ने अपने पिता को बताया की एक गाडी उसका दोस्त ले गया और दूसरी सुधरने दी हैं, इसलिए वो नहीं जा सकता। इसपर पापा ने कहा – “तो किराए से गाडी लेके जा पर अपनी बहन को लेने जा जल्दि।”

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यह सुनकर प्रिंस ने कहा – “वो कोई बच्ची थोड़ी ना हैं अब, खुद ऑटो करके आ जाएगी। लेने जाने की क्या जरूरत?” यह सुनते ही पिता को गुस्सा आ गया, और वे बोले – ” वो इस घर की बेटी हैं, शादी हो गई इसका मतलब ये नहीं की वो पराई हो गई। घर में गाडी होते हुए रश्मी ऑटो से क्यों आएगी भला।”

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यह सुनकर प्रिंस तुरंत बोल पड़ा – “मेरे लिये तो अब वो पराई ही हैं, ये गाडी ये घर अब सिर्फ मेरा है, उसका नहीं।” अपने बेटे के मुँह से ये शब्द सुनकर तो पापा के गुस्से का कोई ठिकाना ही नहीं था।

उन्होंने गुस्से में प्रिंस को एक तमाचा दे मारा। इतने मे प्रिंस की माँ बोलती हुई आई – “अरे जवान बेटे पर हाथ क्यों उठाते हो।” पर आज पिता को अपने किये का कोई पछतावा नहीं था।

पर ये क्या दूसरी ओर प्रिंस थप्पड़ खाने के बाद नाराज नहीं था, बल्कि मुस्करा रहा था। उसने अपने पिता से कहा – “बुआ जी भी तो इस घर की बेटी हैं, आपकी बहन हैं, उन्होंने भी तो दीदी की तरह हमारे और इस घर के लिये बहुत कुछ किया हैं।

पर आप तो कभी उन्हें छोड़ने या लेने नहीं गए। आज बुआ जी का भी तो जन्मदिन हैं पर आपने तो उन्हें शादी के बाद पराया ही कर दिया।” अपने बेटे के मुँह से ये शब्द सुनकर पिता के तो पैरो तले जमीन खिसक गई।

इतने में घर के सामने एक गाडी आकर खड़ी हुई। गाडी में से रश्मी निकली। प्रिंस की तरफ आकर रश्मी बोली – “वाह! नई गाडी, क्या बात हैं। मुझसे तो रहा ही नहीं गया, इसलिये ड्राइवर को पिछे बिठालकर मैं खुद ही गाडी चला लाई।”

प्रिंस ने कहा – “ये आप ही के लिये हमारे तरफ से जन्मदिन का तोहफा हैं दीदी।” यह सब देखकर प्रिंस के पिता की आंखों में आंसू आ गए। और इतने में दूसरी गाडी घर के सामने आकर खड़ी हुई, इसमे से प्रिंस की बुआ निकली।

वे जल्दि से अन्दर आकर बोली – “क्या हुआ भैया, इतनी जल्दि में क्यों बुलाया? आपकी तबियत तो ठीक हैं न?” उतने में प्रिंस टेबल के पिछे छिपाया हुआ केक ले आया और बोला – “जन्मदिन मुबारक हो बुआ जी!” बुआ जी यह देखकर चौक गई की प्रिंस को उनका जन्मदिन याद हैं, और भवुक हो कर प्रिंस को गले लगा लिया।

सबने मिलकर घर की दोनों बेटियों का जन्मदिन मनाया। इतने समय बाद अपना जन्मदिन मनते देखकर बुआ जी भावुक हो उठी। वो अपने भाई के पास जाकर बोली- “भैया, आज मुझे लगा जैसे पिताजी जिन्दा हैं। आज मुझे आप में पिताजी के दर्शन हो गये। मुझे इतना प्यार देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद भैया।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...