पिता एक मामूली दुकानदार थे, बेटी ने पैसों के अभाव में रहकर पढ़ाई कि और आज IAS है
“जीवनपर्यन्त की सन्तुष्टि जो हमारे निजी जीवन और कार्य सार्थकता के तत्व को सृजति है सफलता कहलाती है”। यह आवश्यक नहीं कि सफलता बड़ी चुनौती को पूर्ण करने से मिले बल्कि छोटे-छोटे उद्देश्यों के सहारे आगे बढ़ना भी सफलता है। ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जिन्हें ज़िंदगी में सुविधाएं मिलती हैं फिर भी वह कुछ … Read more