देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की क्या स्थिति हैं. और हमें इस ओर और कितना ध्यान देने की जरूरत है. कोरोना काल के दौरान जिस तरह से लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिलना. ऑक्सीजन के लिए लंबे समय तक लाइन लगना अगर समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई तो कई मरीजों की जान चली गई है. ऐसे में कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था यह बताता है कि हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी कितना काम करना है. बात बिहार कि हो या फिर पूरे देश की. सभी जगह स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.

आपको बता दें कि बिहार में अगले दो साल में सात और मेडिकल कॉलेज व अस्पताल अपनी सेवा लोगों को देने लगेगा. इसमें एक पूर्णिया मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में हैं. पूर्णिया सदर अस्पताल के तमाम उपकरणों और कर्मियों का समायोजन भी इस नए मेडिकल कॉलेज में करने की अनुमति दे दी गई है.

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यहां शैक्षणिक सत्र 2021-22 में 100 नामांकन के साथ MBBS की पढ़ाई शुरू करने की भी तैयारी है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य संरचना को मजबूती देना सरकार की प्राथमिकता है. आपको बता दें कि राज्य के अलग-अलग जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं. 

अस्पताल निर्माण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पूर्णिया, सारम, समस्तीपुर, मधुबनी, वैशाली, सीतामढ़ी और सिवान के मैरवा में मेडिकल कॉलेज व अस्पताल खोल जाएंगे. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सात मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के निर्माण पर करीब 3465.12 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. विभाग की माने तो पूर्णिया के अलावा सारण जिले के छपरा में 500 बड समस्तीपुर के सरायरंजन में 500 बेड वाले श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का निर्माण कार्य जारी है. इधर मधुबनी के झंझारपुर और सीतामढ़ी में भी पांच सौ बेड के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...