दाम बढ़ने की उम्मीद में लाखों किसानों ने प्याज स्टोर करके रखा हुआ है, लेकिन कुछ वजहों से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. प्याज के थोक दाम (Onion Price) कम हो गए हैं, इससे किसान निराश हैं. इसके सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र के किसानों का कहना है.
कि दाम इतना कम हो गया है कि अब उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. जब दाम में वृद्धि होती है तब सरकार उसे कम करने की कोशिश में जुट जाती है, लेकिन जब लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है तो उसकी भरपाई कौन करेगा? महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि जो प्याज 2200 से 2500 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया था,
उसका दाम अब घटकर 1500 से 1600 रुपये तक रह गया है. जबकि 1800 रुपये क्विंटल तक तो लागत ही आ रही है. खाद, बीज, कीटनाशक (Pesticide) और श्रम सबकुछ महंगा हो चुका है. ऊपर से मंडी तक ले जाने का खर्च. आखिर घाटे में कैसे खेती होगी?
प्याज मार्केट पर बारीकी से नजर रखने वाले दिघोले ने दाम कम होने के पीछे तीन मुख्य वजह बताई है. पहला यह कि एक्सपोर्ट पहले के मुकाबले धीमा हो गया है. हमारे यहां से खाड़ी देशों, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर में इसका निर्यात (Onion export) किया जाता है. लेकिन हम एक्सपोर्ट कभी बंद करते हैं और कभी खोल देते हैं
दूसरा वजह यह है कि सावन के महीने में लोग मीट कम खाते हैं इसलिए प्याज की खपत कम हो गई है. ऐसे में होलसेल और रिटेल दोनों मार्केट में दाम में कमी देखने को मिल रही है. तीसरी वजह यह है कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में कुछ जगहों पर प्याज की नई फसल निकलनी शुरू हो गई है. इससे दाम कम हुआ है. जबकि महाराष्ट्र में लाखों किसानों (Farmers) ने दाम अच्छा होने की उम्मीद में अप्रैल से ही प्याज स्टोर करके रखा हुआ है.
महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान बड़े प्याज उत्पादक हैं.
-देश में सालाना प्याज उत्पादन औसतन 2.25 से 2.50 करोड़ मीट्रिक टन के बीच है.
-हर साल कम से कम 1.5 करोड़ मीट्रिक टन प्याज बेची जाती है.
-करीब 10 से 20 लाख मीट्रिक टन प्याज स्टोरेज के दौरान खराब हो जाती है.
-औसतन 35 लाख मीट्रिक टन प्याज एक्सपोर्ट (Export) की जाती है.
-2020-21 में इसका उत्पादन (Onion Production) 26.09 मिलियन टन होने का अनुमान है.
-इस साल यानी 2020-21 में 15,95,000 हेक्टेयर में इसकी खेती हुई है.