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एक फौजी जब हर रोज अपनी बन्दुक लेकर देश की सरहद पर अपने देश की सेवा करता है तो वो अपने साथ मौत लेकर चलता है। और सरहद पर फौजियों को ना जाने कितनी ही परिस्थितियों का सामना करना होता है।और वो अपनी जान को हथेली पर रखकर चलते है, इसी लिए कहा जाता है.

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की फौजियों की ज़िंदगी इतनी आसान नहीं होती है, क्योकि फौजियों को न केवल विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता बल्कि घर-परिवार का सुख त्याग कर उनसे दूर रहकर अपने देश की भूमि की रक्षा करता है.जब एक फौजी देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर देता है तो उस परिवार का जज्बा भी काबिले तारीफ होता है।

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कुछ ऐसी ही कहानी है शहीद कैप्टन शफीक घोरी की और साथ ही उनकी पत्नी सलमा के त्याग की। शौर्य से भरी हुई ये सलमा की कहानी दिल को झकझोर देती है। आपको बता दे की हाल ही में कैप्टन की पत्नी सलमा ने फेसबुक पेज BeingYou पर अपनी ये कहानी शेयर की। दिल को झकझोर देने वाली सलमा की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। सलमा ने इस पोस्ट में लिखा कि साल 1991 में मेरी 19 साल की उम्र में कैप्टन शफीक घोरी के साथ शादी हुई थी लेकिन इसके बाद 29 साल की उम्र में सलमा ने अपने पति को हमेशा के लिए खो दिया। बताते है की कैप्टन शफीक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लड़ाई करते हुए शहीद हुए थे। सलमा ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा की उनकी शादीशुदा लाइफ बहुत छोटी थी लेकिन बेमिसाल थी।

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सलाम ने कहा की उस समय वहां फोन आसानी से नहीं मिलते थे लेकिन पति मुझे हर रोज एक खत जरुर लिखते थे ताकि किसी भी दिन मुझे उनकी कमी न महसूस हो। लेकिन कुछ समय बाद पता चला की उनकी पोस्टिंग हाई रिस्क एरिया में हो गई है लेकिन मैं पहले से ज्यादा मजबूत हो गई थी, क्योकि एक फौजी की पत्नी की जिम्मेदारियां क्या होती है इस बात का एहसास मुझे हो गया था। सलमा ने आगे लिखा, मैं ये बात भी अच्छे से जानती थी कैप्टन शफीक अपने देश को पहले प्यार करते हैं फिर उसके बाद दूसरे नंबर पर उनका परिवार आता था।

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बताया गया की सलमा और शफीक हर रोज एक दूसरे को खत लिखते थे। लेकिन दुःख की बात ये थी कि सलमा को कैप्टन का आखिरी खत उस समय मिला, जब उन्हें पता चला कि शफीक देश की खातिर बलिदान हो गए। इसके बाद सलमा को कई लोगों ने जिंदगी में आगे बढ़ने की सलाह दी, लेकिन सलमा ने ऐसा कुछ भी नहीं किया और केवल शफीक के लिए ही जीने की ठान ली।

फेसबुक पर सलमा ने आगे लिखा कि कैप्टन शफीक हमेशा मेरे थे,और हमेशा उनके ही रहेंगे। आपको बता दे की आज के समय में सलमा शहीद फौजियों के परिवार के कल्याण और महिला सशक्तिकरण के लिए कर्नाटक में काम करती हैं।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...