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साल 2005 की बात है, मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की भगवती यादव (Bhagwati Yadav) को किसी ने सलाह दी कि उन्हें एक सरकारी योजना से जुड़कर खुद का बिजनेस शुरू करना चाहिए। भगवती यादव को कहा गया कि वह हर हफ्ते 10 रुपये जमा करके अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकती हैं। उस समय उन्होंने इस सलाह को हंसी में उड़ा दिया था। 

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60 वर्षीय भगवती ने सोचा, ‘एक व्यवसाय जिसके लिए भारी निवेश की ज़रूरत होती है, वह इतने कम पैसों में कैसे हो सकता है?’ इसके अलावा, उन्हें अपने उद्यम कौशल को बढ़ाने के लिए क्लास में भाग लेने के लिए भी कहा गया था। हालांकि, इस अवसर को हंसी में टालने की असली वजह यह थी कि भगवती यादव स्कूल ड्रॉपआउट थीं।

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भगवती यादव (Bhagwati Yadav) ने कभी नौकरी नहीं की और न ही उद्यम चलाने का कोई ज्ञान था। हालांकि, आगे चलकर अपने पति दशरथ और अपनी पांच बेटियों के प्रोत्साहन और समर्थन से, धलान चौकी की रहनेवाली भगवती ने विश्वास भरा एक कदम बढ़ाया और सफलता खुद उनके पास चलकर आ गई।

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भगवती बताती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि ‘पत्नी के कर्तव्य’ वाले टैग से निकलकर, कोई महिला बिजनेस भी कर सकती है। जब मुझसे कोई उत्पाद या सेवा चुनने के लिए कहा गया, तो मुरब्बा बनाना मेरी पहली पसंद थी। रेसिपी जानने के अलावा, मुझे मीठी और चटपटी चीज़ें बहुत पसंद हैं। किसी व्यंजन को अंतिम रूप देना उतना कठिन नहीं था, जितना कि ‘उद्यमशीलता कौशल प्रशिक्षण’ कार्यशालाओं से गुजरना। सच कहूं तो मेरे पास एक ही अनुभव था और वह था मजदूरी करने का काम।”

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बिजनेस शुरू करने के लिए, भगवती ने मुरब्बा को चुना और बेहतर रेसिपी के लिए कई प्रयोग किए। दशरथ ने बताया, “मुरब्बा के एक बैच को तैयार होने में कम से कम तीन दिन लगते हैं, और भगवती महीनों तक इसमें लगी रहती थीं। मैंने उसे इतना केंद्रित और समर्पित कभी नहीं देखा था। उनकी इस लगन ने ही मुझे उनके व्यवसाय में शामिल होने और उनकी मदद करने के लिए प्रेरित किया।”

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...