मेहनतकश इंसान कभी हार नहीं मानता और हौसला अगर बुलंद हो तो मंजिल पाना नामुमकिन नहीं है।कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बेगूसराय हवासपुर के अस्थाई एवं पटना रूकनपुरा के स्थाई निवासी बी काॅम पास 30 वर्षीय अजय कुमार गुप्ता ने।वर्तमान में अजय जुगाड़ विधि से चलंत सत्तु उद्योग लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

और लोग उनके इस कार्य की खूब सराहना करते हुए कहते हैं देश के युवाओं के लिए अजय का यह कार्य किसी प्रेरणा श्रोत से कम नहीं है। लाॅकडाउन में बेरोजगार हुए बी काॅम पास युवक ने आपदा को अवसर में बदल जुगाड़ चलंत अतिसुक्षम सत्तु उद्योग बना हजारों की कमाई कर रहा है।अजय का यह चलंत उद्योग गांव गांव और गली गली में धूम मचाता हुआ सबों शुद्ध सत्तु का आनंद दे रहा है।

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कहां से मिली प्रेरणा और कब से कर रहे हैं यह कार्य। अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि बी काॅम पास करने के बाद वे पटना और बेगूसराय में इलेक्ट्रॉनिक घरेलू उत्पाद का मार्केटिंग का कार्य करते थे।मेहनत के हिसाब आमदनी कम थी लेकिन जीवन चल रहा था।अचानक 2020 में मार्च महीने में लाॅकडाउन की घोषणा ने पूरे हिन्दुस्तान को स्थिर कर दिया।

इस दौरान प्राइवेट मासिक मेहनत और रोज मेहनत कर जीवन गुजर बसर करने वाले लोगों के लिए यह किसी बुड़े समय से कम नहीं था।वहीं अजय ने बताया कि जब कामधाम बंद हो गया तो मैंने चलंत सत्तु उद्योग के बारे में सोचा।इसके उद्योग को स्थापित करने के लिए लगभग एक लाख पच्चीस हजार रूपये की आवश्यकता थी।

कुछ रूपये मेरे पास थे एवं कुछ मैने कर्ज और लोगों से सहायता लेकर अहमदाबाद से एक दो पहिया मोपेट गाड़ी,एक छोटा पीसाई चक्की,एक छोटा मोटर,पुल्ली एवं फेन बेल्ट,एक इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीन लेकर आया और खुद से इस जुगाड़ उद्योग को मोपेट वाहन पर सेट कर इस अति सूक्ष्म चलंत सत्तु उद्योग की शुरूआत की।और लाॅकडाउन के इस आपदा की घड़ी में इन्होंने अपने लिए अवसर तलाश कर युवाओं के लिए प्रेरणा बने हैं।

साथ ही उन्होंने बताया कि घर के बगल में एक मशाला पीसने वाले को देखकर मेरे दिमाग में यह बात आई।लेकिन अजय आर्थिक रूप से कमजोर परिवार एवं जगह का काफी आभाव होने के कारण उसके दिमाग में यह जुगाड़ विधि का आइडिया आया और उसने सोशल मिडिया के माध्यम से छोटा चक्की मशीन और अन्य सामानों की जानकारी लेकर आज इस मुकाम तक पहुंचने में सफल हुए हैं।

साथ ही उन्होंने बताया कि पेट्रोल की मदद से मशीन चलाता है।जिसमें तीन लीटर पेट्रोल खर्च होते हैं।वहीं अजय ने बताया कि चना से सत्तु बनाने की प्रकिया में पुरी शुद्धता का ख्याल रखते हैं।खुद से चना को कड़ी धूप में सूखना एवं चुनना करते हैं।और प्रतिदिन खर्च काटकर एक हजार से अधिक एवं मासिक 40 – 50 हजार तक की आमदनी करने में सफल हो रहे हैं।सबसे ज्यादा अजय खूश इस बात से हैं कि साल भर से वह इस कार्य को कर रहे हैं और इस रोजगार से पुरी तरह संतुष्ट हैं।

साभार :- India News

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...