AddText 06 06 09.22.56

झारखंड की ऑसम डेयरी का नाम न केवल देश में फैला हुआ है बल्कि अब वह विदेश में भी अपनी पहचान बनाने के लिए पूरी तरह से प्रयास कर रहा है। देश की बढ़ती हुई कारोबारी कंपनियों में इसका नाम शुमार है। कम समय में इसने मेहनत कर जो मुकाम हासिल किया है वह काबिले तारीफ है लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प है। इससे निर्माण की कहानी सभी को कुछ नया करने की प्रेरणा देती है। सबका हौसला बढ़ाती है। आइए आपको बताते हैं इसकी कहानी के बारे में।

Also read: प्रेरणा : एक ऐसा परिवार जहाँ एक साथ बनता है 38 लोगों का खाना एक साथ, एक घर में रहते है 4 पीढ़ी के लोग नहीं होती है झगड़ा

अभिषेक राज, अभिनव शाह, हर्ष ठक्कर और राकेश शर्मा नामक 4 दोस्तों ने मिलकर साल 2012 में इसकी शुरुआत की थी। चारों दोस्तों ने अपनी शानदार कॉरपोरेट जॉब्स छोड़कर इसे बनाने का फैसला किया था। सभी ने मिलकर अपनी आय एक जगह लगा दी और गायें खरीदी।

Also read: रिक्शा चलाकर-दूध बेचकर खूब संघर्ष करके बने मास्टर रिटायर हुए तो, गरीब बच्चे में बाँट दिए रिटायरी में मिले 40 लाख रूपये!

शुरुआत में 40 गायें खरीदी गईं लेकिन परेशानी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनकी 26 गायें संक्रमण के कारण मर गईं और यह कारोबार के लिए एक बड़ा नुकसान था। हालांकि इसके बाद भी चारों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने एक बार फिर से कारोबार में निवेश किया और धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर लौटने लगी।

Also read: घर की आर्थिक स्थिति थी खराब पिता करते थे चीनी मील में काम, बेटी ने खूब मेहनत की और पास की UPSC परीक्षा बनी आईएएस अधिकारी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऑसम डेयरी का टर्नओवर 5 साल के अंदर 100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। झारखंड में ऑसम डेयरी आज 19 जिलों में चलती है और 140 डिस्ट्रिब्यूटर्स के साथ काम कर रही है। इसके अलावा 3000 से ज्यादा रीटेलर्स भी कंपनी के साथ जुड़े हैं। चार दोस्तों द्वारा शुरू की गई इस कंपनी में आज लगभग 270 लोग काम करते हैं.

और कंपनी की सक्सेस देखने लायक है। रिपोर्ट के मुताबिक अभिषेक ने सबसे पहले डेयरी के बिजनेस के बारे में अपने दोस्तों से बात की थी। डेयरी शुरू करने से पहले वह लोग एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते थे। उनका सालाना पैकेज लगभग 40 लाख रुपये के आसपास था लेकिन बढ़िया पैसे मिलने के बावजूद वह लोग अपनी नौकरी छोड़कर कारोबार में लग गए।

कारोबार शुरू करने के लिए चारों दोस्तों ने अलग अलग 1 करोड़ रुपये लगाए। शुरुआत में 1 एकड़ जमीन खरीदी गई। वहीं करीब 30 लाख रुपये डेयरी फार्म बनाने में खर्च हुए। कारोबार के लिए न सिर्फ पैसा खर्च किया गया बल्कि सही ट्रेनिंग भी हासिल की।

अभिनव शाह एक महीने का डेयरी फार्मिंग कोर्स करने के लिए कानपुर गए। इससे उन्हें जानवरों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में अच्छी जानकारी हासिल हुई। साल 2022 तक कंपनी ने 500 करोड़ का कारोबार करने टारगेट रखा है।

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...