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बिहार में भले ही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है. लेकिन राज्यवासियों के लिए ब्लैक फंगस एक नई मुसीबत के रूप में उभरा है. इन दिनों रोज ब्लैक फंगस के नए मरीजों की पहचान की जा रही है. हालात ये हैं कि पटना के विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस की चपेट में आस चुके 4 दर्जन से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. 

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पटना में लगातार ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों की पहचान की जा रही है. ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. जानकारी मिली है कि राजधानी पटना के विभिन्न बड़े अस्पतालों में  50 से ज्यादा मरीजों को भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के साथ-साथ डायबिटीज के मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो रहा है.

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बताया जा रहा है कि आईजीआईएमएस में 20, एम्स में लगभग 16 और पीएमसीएच में 7 मरीजों के अलावा रूबन, पारस और बिग हॉस्पीटल में भी इस बीमारी से संक्रमित कई मरीज भर्ती हैं.

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पीएमसीएच के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनीत सिन्हा ने बताया कि यह विशेष प्रकार का फंगल इंफेक्शन है जो व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर होता है. एम्स पटना के न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास झा ने बताया कि यह बीमारी तब खतरनाक रूप ले लेती है, जब यह नाक के रास्ते दिमाग में प्रवेश करती है.

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उन्होंने कहा कि शुरुआती पहचान और समय पर सर्जरी और दवाइयों का इस्तेमाल ही इस बीमारी से बचाव का सबसे बेहतर विकल्प है. यह संक्रमण नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े अथवा चमड़े पर भी हो सकता है. इससे आंखों की रौशनी जा सकती है तो कुछ मरीजों के नाक और जबड़े की हड्डियां गल जाती है और दांत टूटने लगती हैं.

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...