अपने पापा दादा से सालों से सुनते आ रहे हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर किसान खेत में फल सब्जी और अनाज उगाने के लिए अपनी जान दाव पर लगा देते हैं चाहे बारिश हो जा सर्दी हो या तूफानों किसी भी वक्त किसान खेत में जाने से नहीं चूकते इसीलिए उन्हें देश का अन्नदाता कहा जाता है.
टाटा की नौकरी छोड़ कर रहे खेती यह किसान बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले हैं जिनका नाम सुधांशु कुमार है यह पहले पैसे से टाटा टी में नौकरी करते थे लेकिन उन्होंने टाटा टी की नौकरी छोड़कर अब 70 बीघा में खेती करते हैं और यह खेती पूरी तरह से स्मार्ट तरीका से करते हैं और इन स्मार्ट तरीकों से खेती करके वह सालाना अछि खासी आमदनी करते हैं।
खेतो में इंटरनेट से लेकर सीसीटीवी कैमरा तक सुधांशु अपने गांव समस्तीपुर में करीब 70 बीघा के प्लॉट में खेती करने के लिए वह कैमरा तक की व्यवस्था रखे हैं वह खेत में सिंचाई के लिए माइक्रो स्पीकर एवं अन्य प्रणाली का उपयोग करते हैं इससे उनके बागानों में लगे पौधे को उचित तापमान मिलता है इसके साथ-साथ वह अपने खेतो में ब्रॉडबैंड इंटरनेट का भी प्रयोग करते हैं ताकि उनका सीसीटीवी कैमरा पूरी तरह से काम करता रहे और अपने घर पर बैठकर इन फसलों को देख पाए।.
70 बीघा ने 27000 पेड़ इन्होंने खेती करीब-करीब 70 बीघा में करते हैं वह बताते हैं कि इन 70 बीघा में करीब 27000 पेड़ है जिसमें अलग-अलग किस्मों के पेड़ है जिसमें अमरुद मौसम में नींबू शरीफा लीची केला जामुन बेर बेल चीकू कटहल आम एवं मीठी इमली जैसी तमाम तरह की अलग-अलग इनके बागान में पेड़ है.
उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा आमदनी व लीची से करते हैं जो कि 50 लाख तक सालाना कमा लेते हैं इसके साथ-साथ आम से तेरह लाख और केले से 35 लाख रुपए कमाते हैं इनकी खेती के करने के तरीकों को देखते हुए इन्हें कई तरह की अलग-अलग पुरस्कार से नवाजा गया है उन्हें 2010 में जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार मिला था इसके साथ-साथ बेस्ट मैंगो ग्रोवर वार्ड रोल मॉडल , 2014 में उन्हें महिंद्रा चरित्र इंडिया एग्रो अवार्ड से नवाजा गया था।