यूपीएससी की परीक्षा को अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है | आईएएस अफसरों की ज़िन्दगी से कई लोग प्रेरणा लेते हैं | ऐसा कहा जाता है कीं अगर इंसान ठान ले तो वो दुनिया में कुछ भी कर गुजर सकता है | नाम इसी तरह का उदहारण पेश कर रहे है | जो युवा आईएएस अधिकारी बनने का सपना देख रहे हैं , उनके लिए यह कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है | असंभव की भी एक न एक दिन शुरुआत करनी ही पड़ती है | और जब उसे सफलता मिलती है तो वही शख्स आने वाले पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शन का कारण बनते हैं | UPSC की परीक्षा देश की सबसे कठिन परिक्षाओं में से एक है | प्रत्येक वर्ष लगभग 1000 से भी कम सीटें होती है | और लगभग 10 लाख के करीब स्टूडेंट्स IAS एग्जाम के लिए अप्लाई करते हैं | ऐसे में सबसे तेज या बेस्ट अभ्यर्थी का ही सिलेक्शन होता है | जो भी IAS बनते है वो लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं |

आज हम आपको ऐसे इंसान से मिलाने जा रहे है | जो केरल के वायनाड जिले से तालुक रखते है | केरल के इस जिले की एक और खास बात है | की यहा ग्रामीण आबादी ज्यादा है | और आसपास के जंगल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए काफी मशहूर हैं। आज हम आपको जिस IAS अधिकारी के बारे में बताने बाले है | उसका नाम श्रीधन्या सुरेश है | श्रीधन्या सुरेश का संबंध यहां की कुरिचिया जनजाति से है | आपको बता दे की श्रीधन्या सुरेश तीर धनुष बेचा करते थे जिससे उनके परिवार का गुजारा हुआ करता था |

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वही श्रीधन्या सुरेश के पिता को कभी भी पढाई लिखाई से दूर दूर तक कोई ताल्लुक नही रहा फिर भी वह चाहते थे की उनकी बेटी खूब पढ़े लेकिन यही कारण है | की गरीबी व पैसो के तंगी के बाबजूद श्रीधन्या सुरेश के माता पिता ने उनकी पढाई में कोई कमी नहीं रखी श्रीधन्या सुरेश ने अपने ही गॉव के बिद्यालय से प्राथमिक शिक्षा पाप्त की जिसके बाद उन्होंने कोझीकोड के सेंट जोसफ कॉलेज से जूलॉजी विषय में ग्रेजुएशन तथा पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की एक दिन श्रीधन्या सुरेश की मुलाक़ात ऐसे शक्स से हुई जिसने उनके जीवन का लक्ष्य बताया और यूपीएससी की तैयारी तथा परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया |

श्रीधन्या सुरेश के लिए आसान नही था UPSC का परीक्षा देना फिर भी उन्होंने 21 साल की उम्र में इसकी तैयारी सुरु कर दी जानकारी के लिए बता दे की श्रीधन्या सुरेश ने 22 साल की उम्र में उन्होंने इसकी पहली परीक्षा दी. वह पहले प्रयास में इसे क्लियर नहीं कर पाईं जिसके बाद उन्होंने ने मेहनत कर दूसरी बार परीक्षा दी लेकिन दुसरे प्रयास में भी सफलता उनके हाथ नहीं लगी लेकिन वह हार नही मानी और जिसका परिणाम यह निकला की उन्होंने 2019 में ऑल इंडिया 410वें रैंक के साथ यह परीक्षा पास कर ली. जिसके बाद उनकी माता पिता खुसी से झूम उठे |

सोनू मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले है पिछले 4 साल से डिजिटल पत्रकारिता...