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साइकिल चाची से किसान चाची बनी बिहार की माहिला, कड़े संघर्ष के बाद पद्मश्री अवार्ड…

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पूरी दुनिया में महिलाएं घर-गृहस्थी के कामों में अपने घंटों लगाती हैं और इसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइज़ेशन (ILO) के मुताबिक़, बिना किसी सैलरी वाले काम करने में सबसे ज़्यादा इराक़ में महिलाएं हर दिन 345 मिनट लगाती हैं, वहीं ताइवान में यह आंकड़ा सबसे कम 168 मिनट है। भारत में वैसे तो महिलाओं को समान दर्ज़ा प्राप्त है। भारत का संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है, अपितु राज्‍य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्‍मक भेदभाव के उपाय करने की शक्‍ति भी प्रदान करता है।

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लोकतांत्रिक शासन व्‍यवस्‍था के ढांचे के अंतर्गत हमारे कानूनों, विकास संबंधी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में विभिन्‍न क्षेत्रों में महिलाओं की उन्‍नति को उद्देश्‍य बनाया गया है। पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-78) से महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति कल्‍याण की बजाय विकास का दृष्‍ठिकोण अपनाया जा रहा है। हाल के वर्षों में, महिलाओं की स्‍थिति को अभिनिश्‍चित करने में महिला सशक्‍तीकरण को प्रमुख मुद्दे के रूप में माना गया है।

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आज हम एक सफल महिला (Success Woman) की बात कर रहे है, जिन्हे लोग चाची कहते हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर की किसान चाची (Kisan Chachi) आज हजारों महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं। गांव की एक आम महिला पहले साइकिल चाची (Cycle Chachi) बनी और फिर किसान चाची (Kisan Chachi) बनी। एक आम महिला से खेतों से होते हुए पद्मश्री अवार्ड (Padma Shri Award) तक का सफर मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी (Rajkumari Devi) के लिए काफी संघर्ष भरा रहा है।

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एक गरीब परिवार में जन्मीं राजकुमारी देवी (Rajkumari Devi) की शादी एक किसान परिवार में हुई थी। राजकुमारी देवी ने जैसे ही ससुराल में एंट्री की, उनके ससुरालवालों ने उन्हें पति के साथ घर से अलग कर दिया। बंटवारे के बाद मिले 2.5 एकड़ जमीन से उन्हें परिवार चलाने की चौनौती थी। ढाई एकड़ जमीन से परिवार का पेट पालना मुश्किल था, ऐसे में राजकुमारी देवी ने निर्णय लिया कि वो घर में ना रह कर जमीन से पैसे कमाएंगी, ताकि उनका परिवार अच्छे से जीवन यापन कर सके।

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उन्होंने खेतों में काम करना शुरू किया। उन्होंने (Kisan Chachi Rajkumari Devi) पूसा कृषि विद्यालय से उन्नत कृषी की जानकारी ली और अपने खेतों में ओल और पपीता लगाया। खेतों में लगे ओल को उन्होंने सीधे बाजार में भेजने की जगह उसका आटा और आचार बनाया। आचार (Achar Business) के बिजनस से उन्हें आय का मौका मिला।

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बताया जाता है की किसान चाची के बारे में जब सदी के महानायक को पता चला, तो उन्होंने किसान चाची को 5 लाख रुपए, आटा चक्की और जरूरत के सामान दिए ताकि उन्हें व्यापार में लाभ मिले। बदलते वक़्त को देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने पद्म पुरुस्कारों की प्रक्रिया बदली और किसान चाची को भी पद्मश्री सम्मान (Padma shri) से सम्मानित किया गया।

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