Site icon First Bharatiya

मुरब्बा हो तो ऐसा! 60 साल की अम्मा के चटपटे मुरब्बों की सफल कहानी, कमाती हैं लाखों

1626587967075

साल 2005 की बात है, मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की भगवती यादव (Bhagwati Yadav) को किसी ने सलाह दी कि उन्हें एक सरकारी योजना से जुड़कर खुद का बिजनेस शुरू करना चाहिए। भगवती यादव को कहा गया कि वह हर हफ्ते 10 रुपये जमा करके अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकती हैं। उस समय उन्होंने इस सलाह को हंसी में उड़ा दिया था। 

Also read: अगर आपके भी पंखे नहीं दे रही है हवा कर दीजिए एक छोटा सा काम, देने लगेगी AC जैसी फर्राटेदार हवा, जानिये….

60 वर्षीय भगवती ने सोचा, ‘एक व्यवसाय जिसके लिए भारी निवेश की ज़रूरत होती है, वह इतने कम पैसों में कैसे हो सकता है?’ इसके अलावा, उन्हें अपने उद्यम कौशल को बढ़ाने के लिए क्लास में भाग लेने के लिए भी कहा गया था। हालांकि, इस अवसर को हंसी में टालने की असली वजह यह थी कि भगवती यादव स्कूल ड्रॉपआउट थीं।

Also read: खुशखबरी अब मुजफ्फरपुर से कोलकाता के बीच चलने जा रही दो अमृत भारत ट्रेन, इन स्टेशनों पर रुकते हुए जायेगी, जानिए…

भगवती यादव (Bhagwati Yadav) ने कभी नौकरी नहीं की और न ही उद्यम चलाने का कोई ज्ञान था। हालांकि, आगे चलकर अपने पति दशरथ और अपनी पांच बेटियों के प्रोत्साहन और समर्थन से, धलान चौकी की रहनेवाली भगवती ने विश्वास भरा एक कदम बढ़ाया और सफलता खुद उनके पास चलकर आ गई।

Also read: Bihar Weather News : एका-एक मौसम ने बदला मिजाज पुरे बिहार को मिली राहत, आज इन जगहों पर आंधी तूफ़ान के साथ होगी बारिश बरसेंगे ओला पत्थर

भगवती बताती हैं, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि ‘पत्नी के कर्तव्य’ वाले टैग से निकलकर, कोई महिला बिजनेस भी कर सकती है। जब मुझसे कोई उत्पाद या सेवा चुनने के लिए कहा गया, तो मुरब्बा बनाना मेरी पहली पसंद थी। रेसिपी जानने के अलावा, मुझे मीठी और चटपटी चीज़ें बहुत पसंद हैं। किसी व्यंजन को अंतिम रूप देना उतना कठिन नहीं था, जितना कि ‘उद्यमशीलता कौशल प्रशिक्षण’ कार्यशालाओं से गुजरना। सच कहूं तो मेरे पास एक ही अनुभव था और वह था मजदूरी करने का काम।”

Also read: Patna Metro News : राजधानी पटना वाला मेट्रो को लेकर आया बड़ा अपडेट, जानिये कब से ट्रैक पर दौड़ेगी पहली मेट्रो ट्रेन

बिजनेस शुरू करने के लिए, भगवती ने मुरब्बा को चुना और बेहतर रेसिपी के लिए कई प्रयोग किए। दशरथ ने बताया, “मुरब्बा के एक बैच को तैयार होने में कम से कम तीन दिन लगते हैं, और भगवती महीनों तक इसमें लगी रहती थीं। मैंने उसे इतना केंद्रित और समर्पित कभी नहीं देखा था। उनकी इस लगन ने ही मुझे उनके व्यवसाय में शामिल होने और उनकी मदद करने के लिए प्रेरित किया।”

Exit mobile version